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ऐसा गांव जहाँ आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव, बीमार पडऩे पर उन्हें एंबुलेंस के बदले खाट में लेकर अस्पताल जाना पड़ता है

बरपानी, बगीचा के बुर्जुडीह व पत्थलगांव के बालाझर और कांसाबेल का दारूपिसा गांव में समस्या

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Backward village of Chhattisgarh

ऐसा गांव जहाँ आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव, बीमार पडऩे पर उन्हें एंबुलेंस के बदले खाट में लेकर अस्पताल जाना पड़ता है

जशपुरनगर. जिले के कई गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के आभाव से जूझ रहे हैं। गावों में पंहुचने के लिए सडक़ नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन गांवों में अपातकालीन स्थिति में एंबुलेस तक नहीं पंहुच पाता है, जिसके कारण गांव से मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जिले के कई गांवो में आज भी बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। बुनियादी सुविधाओं का आभाव होने से ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन गांवों की मुख्य समस्या सडक़ और पुल की है। गांव तक सडक़ की सुविधा नहीं होने के कारण लोगों को आवागमन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही बुनियादी सुविधा के आभाव से बगीचा विकासखंड के ग्राम छिरोडीह के राजस्व ग्राम बुर्जुडीह की है। जहां के ग्रामीणों के बीमार पडऩे पर उन्हें एंबुलेंस के बदले खाट में लेकर अस्पताल जाना पड़ता है क्योकी उस गांव में आज तक सडक़ और पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। जिसके कारण उनके गांव में ना तो एंबुलेंस पंहुच पाता है और ना ही १०८ पंहुच पाता है। ग्राम छिरोडीह के राजस्व ग्राम बुर्जुडीह में सडक़ और पुल का आभाव होने के कारण यहां के ग्रामीणों का कई समस्याओं का समाना करना पड़ता है। इस गांव में सडक़ और पुल का निर्माण नहीं होने के कारण इस गांव में यदि कोई ग्रामीण गंभीर रुप से बिमार हो जाए तो इस गांव में ना तो १०८ पंहुच सकता है और ना ही एंबुलेस पंहुच पाता है। ऐसे में गांव के लोगों को मरीज को खाट में लेटा कर मेन रोड तक ले जाना पड़ता है, जिसके बाद ही उन्हें १०८ या फिर एंबुलेस की सुविधा मिल पाती है।
सडक़ की मांग को लेकर कर चुके है चुनाव का बहिष्कार : जशपुर के जिले के कांसाबेल विकासखंड के ग्राम पंचायत दोकड़ा के आश्रित ग्राम दारुपीसा में ७२ वर्षो से सडक़ का निर्माण नहीं हो पाया है। सडक़ का निर्माण नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में सडक़ की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें आवागमन में परेशानी होती है और वे अभी भी आवागमन के लिए पगडंडी का ही सहारा ले रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वे गांव में सडक़ निर्माण के लिए कई बार शिविरों में आवेदन दे चुके हैं उसके बावजूद भी उनकी समस्याओं का अब तक समाधान नहीं हो सका है। ग्रामीण अपनी समस्या का समाधान नहीं होता देखकर गांव के बाहर में लोक सभा चुनाव के बहिष्कार का बैनर भी लगा दिया गया था।

कई गांवों में पंहुचने के लिए नहीं है सडक़ : जशपुर ब्लाक का बरपानी गांव सिटोंगा पंचायत में आता है। यह गांव बालाछापर चांपाटोली और सिटोंगा के बीच स्थित है। गांव का विकास नहीं हो पाया है। गांव तक पहुंचने के लिए सडक़ भी नहीं है। इस गांव की आबादी 60 परिवार की है। सडक़ नहीं होने से कोई भी गाड़ी गांव तक आसानी से नहीं पहुंच पाती है। गांव में एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है। यदि गांव का कोई व्यक्ति बीमार पड़े तो उसे खाट पर चार आदमी ढोकर सडक़ तक ले जाते हैं, जहां से एंबुलेंस से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है। इसी तरह पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम बालाझर एक ऐसा गांव है, जहां अब तक सडक़ की सुविधा ग्रामीणों को नहीं मिली है। सडक़ के अभाव में पिछले वर्ष एक गर्भवती महिला ने नौ माह तक कोख में पालने के बाद अपने बच्चे को खो दिया था। सडक़ नहीं होने से प्रसव पीड़ा होने के बाद महिला को अस्पताल जाने में दो किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा था। जिसके कारण गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई थी।