नए सत्र में स्कूल जाने की है बड़ी उत्सुकता लेकिन बस एक बात का दुख है मासूम बच्चों को
स्थिति : विभागीय उदासीनता के कारण आज भी जिले में १८४ स्कूलों की स्थिति है जर्जर
नए सत्र में स्कूल जाने की है बड़ी उत्सुकता लेकिन बस एक बात का दुख है मासूम बच्चों को
जशपुरनगर. इस वर्ष भी नए शैक्षणिक सत्र में जिले के कई क्षेत्रों के बच्चों को जर्जर भवन में अध्ययन अध्यापन करने में मजबूर होना पड़ेगा। शासन के द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों की मरम्मत के लिए हर वर्ष बजट स्वीकृत करता है। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण आज भी जिले में १८४ स्कूलों की स्थिति जर्जर ही है। वहीं २२ स्कूल भवनों की स्थिति यह है कि इन भवनों में स्कूल संचालित ही नहीं किया जा सकता है। जिले के २२ स्कूल अब पूरी तरह से तोडऩे योग्य हो गए हैं। वहीं शिक्षा विभाग को मात्र डेढ़ माह के अंदर में जिले के १८४ स्कूलों की मरम्मत करवानी पड़ेगी,नहीं तो इस शिक्षा सत्र में भी बच्चों को जर्जर स्कूलों में ही अध्ययन अध्यापन करना पड़ेगा।
विभाग की लापरवाही के कारण इस शिक्षा सत्र में भी जर्जर स्कूलों में ही अध्यापन का कार्य करना पड़ेगा। शासन के द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है साथ ही साथ हर वर्ष भवनों के मरम्मत के लिए भी राशि आबंटित किए जाते हैं, लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण जिले के कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं तो कई स्कूल भवन विहीन है, वहीं कहीं कहीं अतिरिक्त कक्षाओं में स्कूल का संचालन किया जा रहा है। जशपुर जिले में २२६७ शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, १८४ स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं तो २७ स्कूल भवन पूरी तरह से तोडऩे लायक हो गए हैं। जिसके कारण नए शिक्षा सत्र में जर्जर हो चुके स्कूल के छात्र-छात्राओं को या तो अतिरिक्त कक्ष में ही पढऩे को मजबूर होना पड़ेगा या फिर यहां के छात्रों को प्राथमिक शाला या अन्य शालाओं के कक्षाओं में बैठकर अध्ययन करना पड़ेगा।
जिले में कुल २२६७ शासकीय स्कूल संचालित किए जाते हैं, जिसमें १६५१ प्राथमिक शाला,४६७ माध्यमिक शाला, ७२ हाईस्कूल एवं ७७ हायरसेकेण्डरी स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। जिसमें से २ प्राथमिक शाला भवन विहीन हैं एवं १३९ प्राथमिक शाला भवन जर्जर हो चुके हैं एवं २२ स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर होने के बाद अब पूरी तरह से तोडऩे की स्थिति में पंहुच गए हैं। ४६७ माध्यमिक शाला भवनों में ३९ शाला भवन जर्जर हैं एवं ५ स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं जिसे पूरी तरह से तोडऩा होगा। इसी तरह जिले में संचालित ७२ हाईस्कूलों में २ हाई स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं एवं ५ स्कूल हाईस्कूल अब तक भवन विहीन हैं। वहीं ७७ हायर सेकेण्डरी स्कूल में ४ भवन विहीन हैं और ४ भवन जर्जर हो चुका है।
हर साल भेज रहे हैं मरम्मत का प्रस्ताव
जिले के जर्जर स्कूलों की हालात सुधारने के लिए शिक्षा विभाग व जनपद के माध्यम से हर साल स्कूलों की मरम्मत के लिए जिला कार्यालय को प्रस्ताव भेजा जाना बताया जाता है। पर उन प्रस्तावों पर विचार नहीं किया जाता हैं। जिसके चलते जर्जर भवन में ही मासूमों को बैठा कर पढऩे की मजबूरी बन जाती है। ग्रामीणों ने भी कई बार इस समस्या के प्रति जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को अवगत कराया गया है। पर अब तक नतीजा सिफर ही रहा है। वहीं विभागीय उदासीनता के कारण अब तक जिले के जर्जर भवनों की मरम्मत नहीं हो पाई है।
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