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जशपुर नगर

गांव ओडीएफ लेकिन खुले में शौच आज भी जारी

पंचायत की लापरवाही के कारण कई गांवों के हितग्राहियों के घरों में नहीं बने शौैचालय

जशपुर नगरNov 06, 2018 / 11:07 am

Amil Shrivas

jashpur nagar

गांव ओडीएफ लेकिन खुले में शौच आज भी जारी

जशपुरनगर. एक ओर भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों को शौचालय का प्रयोग करने को लेकर जागरुक कर रही है, वहीं पंचायत की लापरवाही के कारण आज भी कई गांव के लोगों को खुले में ही शौच जाने को मजबूर हो रही है। खुले में शौच से मुक्ति दिलानें के लिए घर-घर में शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन पंचायत के प्रतिनिधियों के द्वारा ही इन दोनो योजनाओं की हवा निकाल दी गई है। गांव के पूरे घर में शौचालय का निर्माण पूरा नहीं हुआ और गांव को ओडिएफ घोषित कर दिया गया है। जिले के बाद बगीचा विकासखंड के पंचायत घोघर को प्रशासन के द्वारा ओडीएफ ग्राम पंचायत घोषित तो कर दिया गया है। लेकिन यहां की जमीनी हकिकत कुछ और ही है। शासन के द्वारा यहां के ग्रामीणों के घरों में शौचालय की स्वीकृति कर लोगों के घरों में शौचालय का निर्माण भी करा दिया गया है। लेकिन पंचायत की लापरवाही के कारण अब भी कई घरों के लोग शौचालय का उपयोग ही नहीं कर रहे है। लोखड़ी ग्राम पंचायत के लोगों ने बताया कि शासन के द्वारा ग्रामीणों के घरो में शौचालय बनाने की स्वीकृति मिलने के बाद पंचायत के द्वारा आनन फानन में लोगों के घरों में शौचालय का निर्माण कराना प्रारंभ कर दिया था। निर्माण प्रारंभ होने के बाद ग्रामीणों के घरों में शौचालय के लिए दिवार खड़ा कर दिया और ना तो उसमें सीट लगाया गया और ना ही सेप्टीक टैंक में आज तक ढक्कन लगा है।
मजदूरो का भी नहीं हुआ मजदूरी भुगतान : ग्राम पंचायत के द्वारा शौचालय निर्माण की स्वीकृति मिल जाने के बाद पंचायत के द्वारा मजदूरो से ग्रामीणों के घरों में शौचालय के निर्माण का कार्य प्रारंभ करवा दिया गया था।

लोग नहीं कर रहे शौचालय का उपयोग: ओडिएफ ग्राम पंचायत घोघर के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पंचायत के द्वारा जो शौचालय का निर्माण कराया जा रहा था उसमें किसी प्रकार के गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत के द्वारा उनके घरों में शौचालय निर्माण की स्वीकृति मिल जाने के बाद शौचालय के लिए बकायदा गढ्ढा तैयार कर लिया गया था,जिसके बाद पंचायत के माध्यम से शौचालय निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया जो कि आज तक आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है। पंचायत के प्रतिनिधियों के द्वारा शौचालय निर्माण के लिए दिवार खड़ा कर उसमें दरवाजा तो लगा दिया है। लेकिन शौचालय में ना तो आज तक सीट बैठाया गया है और ना ही शौचालय में छत का निर्माण किया गया है। इससे ग्रामीण शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और मजबुरी में उन्हें आज भी खुले में शौच जाना पड़ रहा है।
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