झांसी. जैन संत आचार्य विनिश्चय सागर महाराज ने कहा कि मूक पशुओं पर तीव्र हिंसा से हमारी संस्कृति विकृत हो रही है। पशु वधशालाओं के निर्माण से पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है। इस असंतुलन के साथ-साथ धरती भी बांझ हो जाती है। वह यहां गुदरी जैन मंदिर में प्रवचन कर रहे थे।
जीव दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं
जैन संत ने कहा कि भारतीय वैदिक संस्कृति को दुनिया में श्रेष्ठ माना गया है। दार्शनिकों एवं विद्वानों ने माना कि भारतीय संस्कृति ही व्यवस्थित है। यहां पर सदियों से जीवों पर करुणा एवं दया का संदेश दिया गया है। भारतीय संस्कृति ने सदैव पशु हिंसा का विरोध किया है। पशुओं को संरक्षित करने के लिए ही गाय को माता माना गया है। जीव दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।
ये लोग रहे उपस्थित
इस कार्यक्रम में मुनि प्रत्यक्ष सागर, क्षुल्लक प्रज्ञान सागर, राजीव जैन, कमल जैन, निर्मल सिंघई, अजीत कुमार जैन, रमेश चंद्र अछरौनी, विमल भंडारी, महेंद्र जैन, धरणेंद्र जैन, संजय जैन, दिनेश डीके, सुभाष जैन, प्रसन्न नायक, वीरेंद्र बड़पुरा, रवि कंधारी, वरुण जैन, अंकित सर्राफ, सौरभ जैन, सचिन सर्राफ, सुयोग भंडारी, सनत नायक, लवी जैन और सनत कुमार जैन आदि उपस्थित रहे।