यह कार्य किए गए अब तक
पुराने कुओं की सफाई कर भरा पानी
संस्था ने पाया कि चिड़ावा पंचायत समिति के गांवों में भूजल स्तर गिर रहा है। बहुत से गांवों में उपलब्ध पेयजल की गुणवत्ता पीने योग्य नहीं है। इसलिए घरों में वर्षा जल संरक्षण कुंडों का निर्माण करवाने का कार्य किया। इसके बाद कचरे से भरे पुराने कुओं की सफाई करवाई। साथ ही गांवों में नए कुएं और तालाबों का निर्माण करवाया।
इसलिए संस्था ने उठाया बीड़ा
संस्थान के परियोजना प्रबंधक भूपेन्द्र पालीवाल ने बताया कि वर्ष 2004 में रघुहरी डालमिया चिड़ावा आए थे। उन्होंने लोगों से मुलाकात की तो सभी ने गिरते भूजल स्तर को लेकर चिंता जताई। इस पर डालमिया ने उसी समय संस्था का निर्माण किया।
भूजल की स्थिति देख करते हैं चयन
दस गांवों में भूजल मापी कूप बनाए गए हैं। इनसे प्रत्येक माह भूजल के स्तर में हो रहे परिवर्तन को जांचा जाता है। 45 गांवों में मैन्युअल वर्षा जल मापी यंत्र लगाए। इसका फायदा यह हुआ कि वर्षा एवं भूजल स्तर में आ रहे परिवर्तन के आधार पर ही किसान फसल का चयन करते हैं।