उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बिरला पब्लिक स्कूल पिलानी से की। 12 वीं की परीक्षा के बाद सीकर की ही राजस्थान एनडीए अकेडमी से तैयारी कर एनडीए में भी चयन हुआ था। जुनून आईएएस अधिकारी बनने का था, इसलिए एनडीए जॉइन नहीं की और कॉलेज के साथ ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्होंने बीएससी ऑनर्स की डिग्री दिल्ली की हिंदू कॉलेज से हासिल की। सचिन के पिता झुंझुनूं में ही सीनियर इंजीनियर के पद पर है और इनकी माता झुंझुनूं में ही सरकारी अध्यापिका हैं।
जो हो जाए पर बनना तो IAS ही है
सचिन के माता-पिता ने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि सचिन का हौंसला बुलंद था और इसने ठान लिया था कि चाहे जो हो जाए पर बनना तो आइएएस अधिकारी ही है। सचिन के मित्र एडवोकेट हिमांशु कस्वा ने बताया कि सचिन शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थे। वे तीन बार प्रयास करके भी असफल रहे लेकिन पहाड़ सा हौंसला रखा और हार नहीं मानी। आखिरकार चौथे प्रयास में इतिहास रच दिया।
नांगली के हिमांशु रेवाड़ को मिली 779वीं रेंक
संघ लोक सेवा आयोग की ओर से मंगलवार को जारी किए गए भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के परिणाम में किसान कॉलोनी के हिमांशु रेवाड़ ने 779वीं रेंक हासिल की है। मूल रूप से नांगली गांव के हिमांशु ने स्कूली शिक्षा न्यू राजस्थान स्कूल झुंझुनूं से की और दसवीं में टॉप किया। आइआइटी दिल्ली से बीटेक किया। हिमांशु ने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की। हिमांशु के पिता बीरबलसिंह रेवाड़ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बागोरा में शिक्षक हैं जबकि माता मिश्रा अंटावाली ढाणी नवलगढ़ में उप प्रधानाचार्य हैं। हिमांशु ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन और अध्यापक को दिया है।