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झुंझुनूं में पटवारी व गिरदावर ने मांगे रुपए

रिश्वत की मांग सत्यापित होने पर गिरदावर जगमाल सिंह व पटवारी रोहिताश के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पटवार हलका झाझड़ के गिरदावर व पटवारी के खिलाफ आवासीय भूमि का नामांतरण चढ़ाने के नाम पर रिश्वत मांगने का मामला एसीबी में दर्ज किया गया है। एएसपी इस्माइल खान ने बताया कि दो सितंबर 2024 को परिवादी ने बताया कि उसकी कृषि भूमि 0.1100 हैक्टेयर का आवासीय पट्टा बनवाया था। इस आवासीय पट्टे के नामान्तरण को चढ़ाने के लिए पटवार हल्का झाझड़ के गिरदावर जगमाल सिंह व पटवारी रोहिताश 15 हजार रुपए की रिश्वत के मांग रहे हैं। एसीबी के श्रीकुमार सानू से सत्यापन कराया तो सामने आया कि गिरदावर जगमाल सिंह ने खुद व पटवारी रोहिताश के लिए दस हजार रुपए की मांग की।

चार हजार लिए नकद

एसीबी के अ​धिकारियों ने बताया कि दोनों ने चार हजार रुपए उसी वक्त परिवादी से नकद ले लिए और शेष छह हजार रुपए फिर कभी देने की बात कही। मांग सत्यापित होने पुलिस निरीक्षक सुरेशचन्द के नेतृत्व में टीम का गठन कर ट्रेप करने का प्रयास किया गया। लेकिन किसी कारणवश ट्रेप नहीं हो सके। रिश्वत की मांग सत्यापित होने पर गिरदावर जगमाल सिंह व पटवारी रोहिताश के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

403 को नहीं मिली अभियोजन स्वीकृति

इधर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस नीति है। उन्होंने आश्वस्त किया कि भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति के लंबित पुराने प्रकरणों का निस्तारण प्राथमिकता से किया जाएगा। साथ ही इन प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण भी सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2022 से 31 दिसम्बर 2024 के दौरान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा राज्य सरकार व संबंधित विभागाध्यक्ष को 1 हजार 592 अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव भिजवाए गए। इनमें से 1 हजार 189 अभियोजन स्वीकृति प्रस्तावों में निर्णय प्राप्त‍ हुए तथा 403 अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गुरुवार को विधानसभा में प्रश्नकाल में इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मंत्री की ओर से जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 403 अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि भ्रष्ट कार्मिकों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अभियोजन स्वीकृति के लंबित प्रकरणों की मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव स्तर पर लगातार समीक्षा की जा रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि मुख्य सचिव स्तर पर इस प्रक्रिया को और अधिक सशक्त किया जाएगा, जिससे प्रक्रियाधीन प्रस्तावों पर समयबद्ध रुप से त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित हो सकेगी। इससे पहले विधायक कालीचरण सराफ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में मंत्री ने बताया कि एसीबी द्वारा जांच उपरांत दोषी पाए गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध प्रेषित अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव संबंधित विभागाध्यक्षों और राज्य सरकार के स्तर पर परिक्षणाधीन होते हैं।