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NPS में बढ़ेगा सरकारी अंशदान, पेंशन में भी होगी अच्छी-खासी बढोतरी

locationजयपुरPublished: Dec 10, 2018 07:04:08 pm

इससे 18 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा। अभी एनपीएस में कर्मचारी की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत और केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। अब सरकार ने अपना अंशदान बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।

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सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए लागू न्यू पेंशन योजना (एनपीएस) में अपना अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है जिससे शत-प्रतिशत राशि पेंशन कोष में रखने पर पुरानी योजना की तुलना में अधिक पेंशन मिलेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गत 06 दिसंबर को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया था, लेकिन विधानसभा चुनावों को लेकर आचार संहिता लागू होने के कारण उस दिन इसकी घोषणा नहीं की गई थी।
इस संबंध में बोलते हुए जेटली ने कहा कि इससे 18 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा। अभी एनपीएस में कर्मचारी की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत और केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। अब सरकार ने अपना अंशदान बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पेंशन में विसंगतियों को दूर करने के लिए सचिवों की एक समिति बनाई गई थी और उसकी सिफारिशों के अनुरूप ही यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि एनपीएस टियर-1 में सरकार का अंशदान 14 प्रतिशत हो जाएगा और इससे वर्ष 2019-20 में राजकोष पर 2,840 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इसके साथ ही पीएफ में जमा धनराशि निकालने पर भी कर नहीं लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर अपने कोष से एकमुश्त 60 प्रतिशत राशि की निकासी पर 40 प्रतिशत पर कर मुक्त रहता है और शेष 20 प्रतिशत पर आयकर लगता है। अब सरकार ने इस 20 फीसदी राशि को भी कर मुक्त करने का निर्णय लिया है। अब 60 फीसदी की निकासी पूरी तरह कर मुक्त होगी। एनपीएस टियर-2 में कर्मचारियों की भागीदारी पर आयकर की धारा 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर आयकर में छूट मिलेगी।
इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को अपनी भागीदारी को विभिन्न निवेश योजनाओं में निवेश करने की छूट भी मिलेगी। अभी एक निश्चित राशि सुरक्षित क्षेत्र में निवेश की जाती है और शेष गैर-सुरक्षित निवेश होता है। अब कर्मचारियों को गैर-सुरक्षित निवेश के लिए अधिक विकल्प मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को निर्णय लेने होंगे तथा वित्त विधेयक में आवश्यक संशोधन करना होगा।

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