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शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा से अल्जाइमर्स को समझना आसान

- आसामान्य व्यवहार को डायवर्जन कर रोक सकते हैं भूलने की बीमारी

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Alzheimer's easy to understand with the amount of nutrients in the bod

- एम्स में जैव रसायन उतरी जोन की एसबीआईकॉन-2018 आयोजित

बासनी (जोधपुर). इंसान में भूलने वाली बीमारी (अल्जाइमर) की रोकथाम के लिए 'एड रिस्करेडिस्कोर' नाम का फार्मूला काफी कारगर साबित हो सकता है।
जो इस बीमारी से पहले मनुष्य के आसामान्य व्यवहार को समझकर उसे काबू करने की व्यवहारिकता पर जोर देता है। ये फार्मूला असामान्य व्यवहार को डायवर्जन करके रखता है।

ये बात दिल्ली में मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान नई दिल्ली की डॉ. रचना अग्रवाल ने कही। वे रविवार को एम्स में जैव रसायन की नॉर्थ जोन एसबीआई कॉन्फ्रेंस 2018 के दूसरे दिन बीमारियों की रोकथाम और उन पर काबू पाने के लिए नैदानिक आवश्यकताओं को समझने के लिए आयोजित सत्र में कही।

अग्रवाल ने बताया कि मरीज में अल्जाइमर्स का पता 60 और 70 साल की उम्र के बाद चलता है। इसमें कम खाना, भूलने की आदत, कपड़े फाड़ देने जैसा असामान्य व्यवहार करता है। लेकिन असामान्य व्यवहार से पहले ही एड रिस्करेडिस्कोर फार्मूले में शरीर में कॉपर, जिंक, आयरन, प्रोटीन आदि का पता लगाकर इन तत्वों की पर्याप्त मात्रा न होने पर अल्जाइमर्स होने की संभावना तलाश की जाती है।

उसके बाद मरीज को ये बीमारी होने से पहले उसे ऑक्यूपेशनल थैरेपी के लिए भेज देते हैं। इससे अल्जाइमर्स को कुछ समय के लिए थैरेपी के माध्यम से ही टाला जा सकता है। इस फार्मूले पर दूसरे चरण का काम हो रहा है। जिसका फायदा इसके मरीजों को मिलेगा।

पोषक तत्वों में लहसून से कम होंगे रेडिकल

पीजीआई चंडीगढ की डॉ. सत्यवती राणा ने बताया कि जीआरडी डिजीज यानि खाने की नली में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए भोजन में एंटी ऑक्सीडेंट उपयोगी है। इस तरह की डिजीज में एसीडीटी, पेट में जलन या पाचन में समस्या जैसी शिकायत होती है। ये बीमारियां ज्यादा मिर्ची खाने, खाना नियमित रूप स न खाने या एक बार में ही ज्यादा खाना खाने से होती है। खाने में ऐसी चीजें ज्यादा खानी चाहिए जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सके।

बड़ी आंत और छोटी बांत की बीमारियों में से रेडिकल बनते हैं। क्रोन्स डिजीज में बड़ी आंत में सूजन हो जाती है, ये आजकल युवाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। इसमें स्टूल में खून आना, पेट में दर्द होना जैसे लक्षण सामने आते हैं। इसलिए खाने में पोषक तत्व ज्यादा होने चाहिए। साथ में ज्यूस जैसे तरल पदार्थों का सामवेश करना जरूरी है।

लहसून रेडिकल को कम करता है। उसे में डाइट में प्राथमिकता से शामिल करें। इस मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण शर्मा, सचिव डॉ. शैलजा शर्मा सहित कई विशेषज्ञ मौजूद थे। आयोजन समिति के उपाध्यक्ष और एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रो. जयराम रावतानी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में कुल 10 सत्र हुए। वहीं 8 युवा वैज्ञानिकों ने पत्रवाचन किया, जिसमें 2 को अवॉर्ड दिए। 37 पोस्टर प्रेजेंटेंशन में 6 को अवॉर्ड मिला। कॉन्फ्रेंस में 172 डेलीगेट्स आए। 18 स्पीकर ने व्याख्यान दिया।


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