
जोधपुर। ‘तकदीर के खेल से निराश नहीं होते, जिंदगी में कभी उदास नहीं होते। हाथों की लकीरों पर यकीन मत करना, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते’। उक्त पंक्तियों को चरितार्थ कर रहा है होनहार रमेश विश्नोई। रमेश के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं। इसके बावजूद हार मानने की जगह वह अब अपने पैरों के बूते ही सारे कार्य करता है। इन दिनों उसका पांव से कार चलाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
फलोदी के नोखडा गांव के रमेश ने बताया कि बचपन में वह भी दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जाकर पढ़ाई की इच्छा के चलते पैरों से ही लिखना शुरू किया। पहले दिक्कतें आई लेकिन अब वह बिना किसी परेशानी के लिख सकता है। 2013 में 10वीं की परीक्षा 66 प्रतिशत से पास की। 2015 में 12वीं की परीक्षा 72 प्रतिशत से पास की है। जेएनयू से बीए की है।
आर्थिक तंगी और नि:शक्तता के बाद भी रमेश प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटा है। उसने पीटीईटी परीक्षा भी दी है। इसके साथ ही अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में वह जुटा हुआ है। उसका सपना आरएएस अधिकारी बनने का है। रमेश के पिता पेमाराम विश्नोई किसान हैं।
कम्प्यूटर और मोबाइल भी पैरों के सहारे चलाते हैं। रमेश सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज से भी पीछे नहीं है। इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रमेश के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें पैरों से कार चलाने वाले वीडियो तो लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है।
Published on:
07 Aug 2025 04:20 pm
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