राठौड़ ने कहा कि वह गुरुवार को विवि के छात्रसंघ चुनाव की ग्रीवेंस रिड्रेसल सैल को परिणाम पर आपत्ति देंगे। वहां कुछ नहीं होने के बाद कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। मूल सिंह को मतगणना के दौरान कुल मतों में से खारिज किए गए 589 मतों पर आपत्ति है। उनका यह कहना है कि इसमें से अधिकांश वोट उसके हैं और केवल मामूली गलती को आधार बताकर वोट खारिज कर दिए गए। विवि ने सभी मतों को मतपेटियों में सुरक्षित रखा है।
मूल सिंह राठौड़ को 4161, सुनील चौधरी को 4170, दमाराम को 662 और अरविंद को 224 वोट मिले। इसमें 130 मत नोटा के और 589 वोट खारिज मत पड़े। करीब 6 प्रतिशत मत बैलेट पेपर पर सील आधी अधूरी होने, लाइन के बाहर सील होने, दो लाइनों के बीच सील होने के कारण खारिज कर दिए गए। इसमें से अधिकांश वोट मूल सिंह के थे। मूलसिंह ने बताया कि उसके सौ से अधिक वोट पर सील के साथ अंगूठे का निशान था जो जानबूझकर किसी ने लगाया। मूल सिंह ने कहा कि सुनील के 81 वोटों पर भी आपत्ति थी लेकिन केवल 26 ही खारिज किए गए।
एबीवीपी प्रत्याशी के आरोप के अनुसार पुनर्मतगणना के दौरान विवि के कुछ कांग्रेसी विचारधारा के शिक्षक भी मतगणना केंद्र के अंदर तक मौजूद थे। मूल सिंह की आपत्ति पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने उनको बाहर का रास्ता दिखाया। पुनर्मतगणना के बावजूद सुनील चौधरी को 9 मत अधिक मिले तो मूलसिंह ने स्वयं के मतों की वापसी गिनती करने को कहा लेकिन विवि प्रशासन ने मूलसिंह को बाहर रखकर सुनील चौधरी को शपथ दिलाना जरुरी समझा। रात 2 बजे मतगणना केंद्र पर मूलसिंह चिल्लाते रहे।
ये बोले, उन्हें कोई आपत्ति नहीं-
अपेक्स के अध्यक्ष पद में चुनाव हारे अन्य प्रत्याशी दमाराम व अरविन्द सिंह राजपुरोहित ने मीडिया के समक्ष कहा कि उन्हें विवि प्रशासन की मतगणना की पारदर्शिता से कोई शिकायत नहीं है। विवि ने फेयर तरीके से मतगणना कराई। हार-जीत होती रहती है। केवल हार के कारण हम विवि को गलत नहीं ठहरा सकते।
अगर किसी प्रत्याशी को चुनावी संबंधी आपत्ति है तो वह 24 घण्टे के भीतर विवि की ग्रीवेंस रिड्रेसल सैल के समक्ष आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। यहां भी संतुष्ट नहीं हो तो वह कुलपति के समक्ष अपील कर सकते हैं।
-प्रो. अवधेश शर्मा, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जेएनवीयू