चयन का तरीका नियोक्ता का नीतिगत विषय: कोर्ट
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज करते हुए यह कहा कि किसी भी पद के लिए चयन का उपयुक्त तरीका अनिवार्य रूप से नियोक्ता के विवेकाधिकार के तहत नीतिगत विषय है। जब तक ऐसी नीति तर्कसंगत है और मनमानी या तर्कहीन होने के आधार पर उसे चुनौती नहीं दी जा सकती, तब तक न्यायालय ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
चयन का तरीका नियोक्ता का नीतिगत विषय: कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी तथा न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता दुष्यंत सिंह एवं अन्य की ओर से दायर याचिका खारिज करते हुए कहा कि योग्यता परीक्षा में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंक सार्वजनिक रोजगार में चयन के लिए पूरी तरह से वैध और अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके में से एक है। दरअसल, याचिका में वर्ष 2015 में राजस्थान आयुर्वेदिक यूनानी, होम्योपैथी एवं प्राकृतिक चिकित्सा अधीनस्थ सेवा नियमावली के नियम 19 में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई थी। संशोधन से पहले कंपाउंडर-नर्स जूनियर ग्रेड के पदों पर योग्य उम्मीदवारों का चयन प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर किया जाता था। संशोधित नियम 19 के आधार पर इन पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन योग्यता परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर किया जा रहा है। खंडपीठ ने कहा कि याचिका में कोई योग्यता नहीं है। प्रश्नगत पदों के लिए चयन का उपयुक्त तरीका क्या होगा यह अनिवार्य रूप से नियोक्ता के विवेकाधिकार के तहत नीतिगत विषय है। इसी याचिकाकर्ता ने पहले भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस याचिका को खारिज कर दिया गया था। इसका पूर्ण विवरण नहीं देने पर नसीहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को इस तरह का विवरण देना चाहिए था और कोर्ट के पूर्ववर्ती आदेश की प्रति भी प्रस्तुत करनी चाहिए थी।
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