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एम्स में एमआरआई करानी है तो करना पड़ेगा आठ माह इंतजार !

-मरीजों की बढ़ती भीड़ से पैदा हो रहे ऐसे हालात

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MRI Investigation in AIIMS, Waiting 8 months

MRI Investigation in AIIMS, Waiting 8 months

जोधपुर.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में अगर आप बीमारी की जांच करवाने के लिए आ रहे हैं और डॉक्टर ने परामर्श पर्ची पर एमआरआई की जांच लिखी है तो आपको 8 से 9 माह का इंतजार करना पड़ सकता है। क्योंकि एम्स में निरंतर बढ़ते मरीजों के दवाब के चलते एमआरआई के लिए लम्बी वेटिंग चल रही है। ऐसे में अस्पताल में जांच करवाने आने वाले सैकड़ों मरीज लम्बी वेटिंग के चलते निजी अस्पतालों व एमआरआई सेंटर से जांच करवाने के लिए मजबूर हैं। इसके लिए उन्हें मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। जिससे आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों को विकट परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


बाहर जांच के लग रहे पांच हजार रुपए

वर्तमान में एम्स में ओपीडी में आने वाली मरीजों की एमआरआई फ्री में ही की जाती है। क्योंकि अभी एम्स में एमआरआई के लिए रेट निर्धारित नहीं की गई है। जबकि बाहर से जांच करवाने पर 4 से 5 हजार रुपए तक की राशि मरीजों को देनी पड़ रही है। वर्तमान में एम्स में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक की समयावधि में 15 से 18 एमआरआई जांच की जा रही है। एक एमआरआई के लिए लगभग 40 से 60 मिनट तक का समय लग रहा है। जबकि रोजाना सैकड़ों मरीज एम्स ओपीडी में जांच करवाने के लिए आते हैं।

स्टॉफ की कमी, बड़ी वजह
एमआरआई की लम्बी वेटिंग के पीछे स्टॉफ की कमी होना भी है। क्योंकि एमआरआई जांच करने व उसकी रिपोर्ट करने के लिए वर्तमान में एम्स में दो ही स्टॉफ है। वहीं कुल 13 रेडियोग्राफर का स्टॉफ है। जिनमें से सभी रोटेशन पद्धति के हिसाब से रात के समय भी ड्यूटी करते हैं। हालांकि वार्ड में भर्ती मरीजों की सिटी स्कैन के लिए एक सप्ताह तक का समय दिया जा रहा है।

ओपीडी मरीजों के लिए इतनी वेटिंग

अल्ट्रासाउंड जांच- लगभग 2 माह

सीटी स्कैन- ढाई से तीन माह
मिमोग्राफी- 1 से डेढ़ सप्ताह (आम तौर पर सप्ताह में तीन दिन सोम, बुध, शुक्र को ही की जाती है।)

इनका कहना है

एमआरआई जांच के लिए चल रही लम्बी वेटिंग एक बड़ी समस्या है। लेकिन जांच करने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्टॉफ नहीं है। साथ ही अस्पताल में ज्यादातर गंभीर स्थिति के मरीज आने से इस तरह के हालात बन रहे हैं। ऐसे में स्टॉफ बढऩे व एमआरआई जांच का समय बढ़ाने पर वेटिंग लिस्ट में कमी आ सकती है।
-डॉ. पुष्पेंद्र खैरा, विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी विभाग, एम्स जोधपुर


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