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कम पानी से जैविक खेती किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण में उपयोगी

परम्परागत खेती से खाद्यान्न की गुणवत्ता उच्च दर्जे की थी, लेकिन आज के समय मे रसायनों का अंधाधुंध उपयोग होने से इसकी गुणवत्ता में गिरावट आ गई हैं। हरित क्रांति से अन्न उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन गुणवत्ता में गिरावट आ गई।

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कम पानी से जैविक खेती किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण में उपयोगी

कम पानी से जैविक खेती किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण में उपयोगी

पीपाड़सिटी. जैविक खेती व परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के साथ किसानों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से सोमवार को पीपाड़सिटी ब्लॉक के सालवा खुर्द व साथीन गांव में किसान संगोष्ठी हुई।


सहायक कृषि अधिकारी पुरखाराम ने बताया कि परम्परागत खेती से खाद्यान्न की गुणवत्ता उच्च दर्जे की थी, लेकिन आज के समय मे रसायनों का अंधाधुंध उपयोग होने से इसकी गुणवत्ता में गिरावट आ गई हैं। हरित क्रांति से अन्न उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन गुणवत्ता में गिरावट आ गई। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता पूर्ण खेती करने के लिए परंपरागत जैविक पद्धति को अपनाने का लक्ष्य बनाने से ही किसान आर्थिक रूप से मजबूत बन सकेगा।

कार्यक्रम संयोजक भरत कुमार भाटी ने संगोष्ठी में कहा कि जमीन में जल स्तर दिनोंदिन पानी नीचे जा रहा है, धरती का तापमान बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है, आने वाले समय में पेयजल संकट होगा, क्योंकि नदियों का मीठा पानी ग्लेशियर तापमान की वजह से निकलने के कारण समुद्रों में जाकर पानी खारा होता जा रहा है।

जैविक खेती विशेषज्ञ सुरेंद्र जयपाल के अनुसार सरकारों की ओर से उचित प्रबंधन नहीं होने से पेयजल संकट मानव जीवन को खतरे में डालने वाला है, इन चुनौतियों से समाधान करने के लिए हमें जैविक खेती परंपरागत खेती को बढ़ावा देना कम पानी से पैदा होने वाली फसलों को लेना धरती पर प्रदूषण में कमी लाना पर्यावरण को बढ़ाना वर्षा जल को संग्रहित करना जरूरी हैं।

संगोष्ठी में प्रगतिशील किसान कोजाराम सर्वा, हीराराम, अमरलाल, हनुमानराम, बालूराम, लोकेंद्र सिंह, बाबूलाल, मोहन सिंह, अकबर खान, अशोक कच्छावाह, किसान देवाराम जयपाल, वीरेंद्र, कमल किशोर, भरत कुमार, दिनेश मेघवाल, शिवलाल, रामसुख, रामदीन, भंवरलाल, गुड्डी देवी, नीतू,तिजा देवी, अनोपी देवी, कमला देवी सरगरा,सोहनी देवी, तुलसी देवी आदि ने अनुभव प्रस्तुत किए ।