जानकारों की माने तो सायबेरियन बर्ड जब वतन वापसी करने को तैयार होती है तो एक पखवाड़ा पहले आकाश में कुरजां की उड़ाने बढ़ जाती है और इनके दल दिन के साथ रात में भी कुर्रकुर्राहट करते हुए उड़ते नजर आता है। जिससे ग्रामीणों को इन पक्षियों की वापसी का अहसास हो जाता है।
सायबेरियन बर्ड कुरजां जब वापसी करती है, उससे पहले वह उड़ान के समय भोजन एकत्रित करती है और यह भोजन उसे खीचन में ही मिलता है। जिस कारण यहां कुरजां का मेला लगता है, लेकिन इस बार समय से पहले कुरजां का जमावड़ा होने लगा है। जिससे मौसम में बदलाव होने व जल्द ही डेमोसाइल के्रेन की वापसी शुरू होने का संकेत है।
– डॉ. दाउलाल बोहरा, सदस्य आईजीएन व कुरजां विशेषज्ञ
राजस्थान में पेट्रोल-डीजल के सस्ते होने को लेकर आई बड़ी खबर, पूरी होगी PM Modi की एक और गारंटी!
तापमान में बढ़ोतरी का अहसासजब तापमान में बढ़ोतरी का अहसास होता है तो कुरजां के वापसी का समय शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार तो कोहरा व कम्पाम्पाती सर्दी के बीच यह उतावलापन नजर आ रहा है। हर साल चार फरवरी के बाद कुरजां का कुनबा 35 हजार या इससे अधिक होता है, लेकिन इस साल तीन जनवरी को ही डेमोसाइल क्रेन की संख्या 40 हजार को पार कर गई है। उड़ान में नजर आ रहा उतावलापन मौसम में बदलाव का संकेत हो सकता है।
– सेवाराम माली, पक्षी प्रेमी