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जोधपुर के कॉलेज कैंपस में Ragging को लेकर सख्त हैं नियम, स्टूडेंट्स ने कहा वे भी हैं जागरूक

जोधपुर में डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, एम्स मेडिकल कॉलेज और एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज समेत तमाम कॉलेजों में रैगिंग रोकथाम के पुख्ता इंतजाम है।

जोधपुरJun 01, 2019 / 12:15 pm

Harshwardhan bhati

crime news of jodhpur

जोधपुर के कॉलेज कैंपस में Ragging को लेकर सख्त हैं नियम, स्टूडेंट्स ने कहा वे भी हैं जागरूक

जोधपुर. हाल ही में मुंबई में रैगिंग की वजह से कथित तौर पर खुदकुशी करने वाली डॉ. पायल के मामले ने एक बार फिर रैगिंग की भयावहता को लेकर देश भर में कॉलेजों के इस गंभीर मसले पर चर्चा छेड़ दी है। देश में 2012 के बाद से अब तक रैगिंग की वजह से आत्महत्या के 54 मामले सामने आए हैं। यूजीसी के एंटी रैगिंग वेबसाइट के आंकड़ों की माने तो अप्रेल 2012 से मई 2019 तक रैगिंग की 4696 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 4628 मामले क्लोज किए जा चुके हैं। 52 केस अब भी कॉल सेंटर में, दो मामले मॉनिटरिंग एजेंसी में और 14 केस यूजीसी के पास लंबित हैं। देश में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों से रैगिंग की शिकायतें ज्यादा मिलती हैं। जोधपुर में डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, एम्स मेडिकल कॉलेज और एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज समेत तमाम कॉलेजों में रैगिंग रोकथाम के पुख्ता इंतजाम है।
एंटी रैगिंग गाइडलाइन
हर साल यूजीसी सभी यूनिवर्सिटीज को एंटी रैगिंग गाइडलाइंस भेजती है। एंटी रैगिंग कमेटी बनाने के लिए सर्कुलर भी भेजा जाता है। 2017 से तो वेबसाइट के जरिए सीधे यूजीसी को भी शिकायत करने की सुविधा स्टूडेंट्स को दी गई है।
परिचय लेने की प्रक्रिया थी, अब अमानवीय चेहरा
रैगिंग, यह शब्द पढऩे में सामान्य लगता है। इसके पीछे छिपी भयावहता को वे ही स्टूडेंट्स समझ सकते हैं जो इसके शिकार हुए हैं। आधुनिकता के साथ रैगिंग के तरीके भी बदलते जा रहे हैं। रैगिंग आमतौर पर सीनियर विद्यार्थी द्वारा कॉलेज में आए नए विद्यार्थी से परिचय लेने की प्रक्रिया थी, लेकिन समय के साथ इसका भयावह और अमानवीय रूप सामने आने लगा। गलत व्यवहार, अपमानजनक छेड़छाड़, मारपीट ऐसे कितने वीभत्स रूप रैगिंग में सामने आए हैं। सीनियर छात्रों के लिए रैगिंग भले ही मौज-मस्ती हो सकती है, लेकिन रैगिंग से गुजरे छात्र के जहन से रैगिंग की भयावहता मिटती नहीं है। मार्च 2009 में भी हिमाचल प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज के छात्र को रैगिंग के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
एंटी रैगिंग कमेटी से कर सकते हैं शिकायत
संभाग के सबसे बड़े डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में रैगिंग रोकथाम के लिए सख्त नियम बने हुए हैं। कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. शैतानसिंह राठौड़ ने बताया कि कोई भी छात्र-छात्रा किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर तुरंत ही एंटी रैगिंग कमेटी से शिकायत कर सकता है। इसके लिए कई जगहों पर कमेटी के सदस्यों के नंबर भी चस्पा किए गए हैं।
मनोचिकित्सक करते हैं काउंसलिंग
मेडिकल कॉलेज में आने वाले नए स्टूडेंट जो अन्य जिलों या राज्यों से आए हैं उन्हें तनावमुक्त रखने के लिए नियमित काउंसलिंग भी की जाती है। कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग की ओर से स्टूडेंट की समस्याओं को लेकर काउंसलिंग की जाती है। ऐसे स्टूडेंट्स को नए परिवेश में ढलने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए काम किया जाता है।
समय-समय पर जागरुकता कार्यक्रम
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी रैगिंग को लेकर पूरी सख्ती है। यहां परिसर में विभिन्न जगहों पर लगे कैमरों के माध्यम से भी स्टूडेंट्स की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। वहीं परिसर पर ‘रैगिंग प्रतिबंधित है’ सरीखे पोस्टर भी जगह-जगह पर चस्पा किए गए हैं। इसके अलावा स्टूडेंट को तनाव मुक्त रहने एवं परिवारिक माहौल में ढालने के लिए समय-समय पर जागरुकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

स्टूडेंट्स बोले-महफूज हैं हम

कॉलेज परिसर स्टूडेंट की पढ़ाई के लिए अनुकूल है। यहां पर सभी स्टूडेंट मिलजुल कर आपसी, प्रेम, सद्भावना व भाईचारे के साथ रहते हैं। रैगिंग जैसी कोई घटना नहीं होती है।
डॉ. अजय फोगावट, छात्र

मेडिकल कॉलेज का माहौल बहुत ही अच्छा है। सहयोग की भावना के साथ सभी स्टूडेंट यहां रहते हैं। पायल के साथ हुई घटना की हम सभी निंदा करते हैं।
रामदयाल जाखड़, छात्र

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