संभाग के छह जिलों जोधपुर, पाली, जालोर सिरोही, बाड़मेर और जैसलमेर में कांग्रेस की राजनीति में गहलोत की पूरी पकड़ है। यहां के कांग्रेस उनके लिए ‘अशोक नहीं ये आंधी है, मारवाड़ का गांधी है…’ जैसा नारा लगाते रहे हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष रहते हुए भी पायलट न तो अपनी पकड़ बना सके और न ही किसी गहलोत विरोधी बड़े नेता को मजबूती से खड़ा कर सके। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व कभी गहलोत के नजदीकी रहे जोधपुर के नेता पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी जरूर पायलट के खास हैं और टोंक में भी उनका काम सम्भालते रहे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर वे अपनी पकड़ साबित नहीं कर सके। हालांकि पाली, जालोर व सिरोही में कांग्रेस पिछले कई चुनावों से कमजोर साबित होती आई है, मगर वहां भी पाली के जिलाध्यक्ष चुन्नीलाल चाड़ावास व जालोर के जिलाध्यक्ष पूर्व विधायक समरजीत सिंह के अलावा पायलट अपने खेमे में किसी को नहीं ला सके। जैसलमेर के विधायक रूपाराम धणदे को जरूर उनके पक्ष में माना जाता था, लेकिन इस लड़ाई में खुलकर वे भी पायलट का समर्थन नहीं कर सके।
संभाग के दोनों सीमावर्ती जिलों बाड़मेर-जैसलमेर में पूर्व मंत्री और बाड़मेर के गुढ़ामलानी से कांग्रेस के विधायक हेमाराम चौधरी जरूर पायलट के खेमे में गए हैं, लेकिन उनका अगला कदम पायलट के फैसले पर निर्भर करेगा। ऐसे में दोनों ही जिलों में कांग्रेस की राजनीति पर कोई खास फर्क पडऩा नजर नहीं आता। दोनों जिलों की 9 में से 8 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। जैसलमेर की दोनों सीटें कांग्रेस के पास हैं। इनमें से जैसलमेर के विधायक रूपाराम धणदे की पोकरण से विधायक व मंत्री सालेह मोहम्मद से अनबन ने पायलट से नजदीकी बढ़ाई थी, लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। बाड़मेर में हेमाराम के अलावा राजस्व मंत्री हरीश चौधरी समेत सभी 6 विधायक गहलोत समर्थक ही हैं। भाजपा का एक मात्र विधायक हमीरसिंह भायल (सिवाणा) है और वह मौजूदा राजनीति का कोई बड़ा फायदा उठाने की स्थिति में नहीं दिखती।
संभाग के पाली, जालोर व सिरोही को मिलाकर बना मारवाड़-गोड़वाड़ क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन आज कांग्रेस इस इलाके में पूरी तरह खाली है। इलाके की चौदह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के खाते में मात्र एक जालोर की सांचौर सीट है। वहां से जीते सुखराम विश्नोई गहलोत सरकार में वन मंत्री हैं। इनके अलावा सिरोही से संयम लोढ़ा व पाली के मारवाड़ जंक्शन से खुशवीरसिंह जोजावर निर्दलीय हैं। दोनों कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे। जोजावर का नाम एसीबी की प्राथमिक जांच में आने के बाद उनकी कांग्रेस से संबंद्धता खत्म हो गई। लोढ़ा खुलकर गहलोत का समर्थन कर रहे हैं। जोजावर को भी गहलोत का नजदीकी ही माना जाता रहा है। ऐसे में कांग्रेस के पास इस इलाके में खोने के लिए कुछ नहीं है। संगठनात्मक स्तर पर जरूरी पाली के जिलाध्यक्ष चुन्नीलाल चाड़वास ने इस्तीफा दिया है। जालोर के जिलाध्यक्ष समरजीत सिंह भी पायलट के नजदीकी हैं, लेकिन कोई खास फर्क पड़ता नजर नहीं आता। भाजपा को हमेशा इस इलाके में कांग्रेस की आपसी लड़ाई का फायदा मिला है और पिछले चुनाव में भी उसने 11 सीटें अपनी झोली में डाली थी। मौजूदा हालात में उसे चुनौती मिलती नजर नहीं आती।
कुल सीट- 10
कांग्रेस-7 (गहलोत-7, पायलट-0)
भाजपा–2
आरएलपी-1 बाड़मेर
कुल सीट- 7
कांग्रेस-6 (गहलोत-5, पायलट-1)
भाजपा- 1 जैसलमेर
कुल सीट- 2
कांग्रेस- 2 (गहलोत-2, पायलट-0) पाली
कुल सीट- 6
भाजपा-5
निर्दलीय-1 जालोर
कुल सीट- 5
भाजपा-4
कांग्रेस -1 (गहलोत-1, पायलट-0)
कुल सीट- 3
भाजपा-2
निर्दलीय-1