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कानपुर

मंत्री उमा के तप से निकला अमृत, पौधों के जरिए गंगा होगी निर्मल

केंद्रीय मंत्री की पहल लाई रंग, जल निगम ने लखनऊ की एक कंपनी को दिया ठेका, आठ करोड़ से बिठूर के सात नालों का 15 साल तक होगा शोधन, कंपनी ने शुरू किया काम, एक साल में पूरा होगा काम।

कानपुरJan 01, 2019 / 11:53 pm

Vinod Nigam

ganga will clean in bithoor lucknow company started work

मंत्री उमा के तप से निकला अमृत, पौधों के जरिए गंगा होगी निर्मल

कानपुर। केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कानपुर के बिठूर से गहरा नाता है। पिछले साल जब वो ब्रम्हवर्त घाट पर स्नान के लिए आई थीं, तब गंगा में गंदे नालों का पानी गिरता देख उन्होंने प्रण किया था कि जब तक सभी नाले टैप नहीं होंगे तब तब वो गंगा स्नान नहीं करेंगी। इसी के बाद वो और मंत्री नितिन गडकरी ने मिलकर गंगा को क्लीन करने का बीणा उठाया। जिसका परिणाम रहा कि कानपुर के 23 में 20 नाले टैप हो गए, वहीं बिठूर के 7 नालों के गंदे पानी को गंगा में रोकने के लिए पौधों को लगाया जाएगा। आठ करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है और अगले वर्ष से नालों के पानी का शोधन शुरू हो जाएगा। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है।

8 नालों का गिरता है पानी
कहा जाता है कि बिठूर के ब्रम्हवर्त घाट में ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की थी और इसका उल्लेख पुराणों में हैं। यहां पर अमवस्या को सैकड़ों श्रृद्धालु आते हैं और गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं। खुद केंद्रीय मंत्री उमा भारती पिछले पंद्रह सालों से बिठूर आकर पूजा-अर्चना करती हैं। अभी गंगा प्रवास के दौरान उन्हें यहां पर 8 नाले गंगा में गिरते हुए दिखे। इसी के बाद उन्होंने पूरे मामले पर उन्होंने जल निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसी के बाद जल निगम ने आठों नालों के प्रदूषित पानी को रोकने के लिए रणनीति बनाई और लखनऊ की कंपनी सीएस इंटरप्राइजेज को ठेका दिया है।

7 नालों के पानी को साफ करेंगे पौधे
जल निगम के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ की सीएस इंटरप्राइजेज कपंनी को इस काम का ठेका दिया गया है। इस योजना का नाम कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड रखा गया है। इसका संभावित लागत 13.40 करोड़ रुपये है। कंपनी को निर्माण कार्य एक साल में पूरा करना होगा। काम पूरा होने के बाद कंपनी को 7 नालों की रखवली 15 सालों तक करनी होगी। बताया कि बिठूर के लवकुश नाला, भुन्नी नाला, पेशवा नाला, गुदारा घाट नाला, ब्रह्मावर्त नाला, कलवरी नाला, लक्ष्मण घाट नाला के आसपास पौधे रोपे जाएंगे। इन नालों से 13.10 लाख लीटर गिरता दूषित पानी गंगा में गिरता है।

इन पौधों को रोपा जाएगा
जल निगम के महाप्रबंधक के मुताबिक नाले पर दो चैनल बनाए जाएंगे। एक में नाला का पानी पौधों की बनी क्यारी से निकाला जाएगा। इससे पानी शोधित होकर गंगा में गिरेगा। दूसरे चैनल से बरसात का पानी गुजारा जाएगा। कंपनी के कर्मचारी विपुल गुप्ता ने बताया कि एलीफैंट घास, कैटेल्स (टाइफा), रीड्स, कैना, यलो फ्लैग आइरिस, नीलकांता, बांस, कनेर, सेलोरिया नामक पौधे नालों के आसपास लगाए जाने का काम शुरू हो गया है। सीएसए के प्रोफेसर डॉक्टर आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि पौधे गंदे पानी को साफ करने में मददगार होते हैं, जैसे जलकुंभी के पौधे हानिकारक तत्व व गंदगी को सोख लेते हैं।

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