स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आईआईटी में विदेशी छात्रा बीटेक करने आई थी। उसी दौरान उसने अपने ही विभाग के एक वरिष्ठ प्रोफेसर पर शारीरिक उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया था। पीडि़ता ने संस्थान के निदेशक व दूतावास में शिकायत की थी। मामले में विदेश मंत्रालय ने भी संस्थान से रिपोर्ट मांगी थी। आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने आईसीसी (इंटर्नल कंप्लेंट कमेटी) को जांच का आदेश दिया था। कई महीनों तक चली जांच के बाद टीम ने रिपोर्ट में प्रोफेसर को दोषी ठहराया और कार्रवाई की संस्तुति की थी।
महीनों से लटके इस मामले को लेकर रात आईआईटी कैंपस में हुई बीओजी की बैठक में विदेशी छात्रा के उत्पीडऩ को गंभीरता से लिया गया। आईआईटी सूत्रों के मुताबिक प्रोफेसर के पुराने मामलों पर भी विचार किया गया। बताया गया कि इससे पहले भी प्रोफेसर पर इसी तरह के छेडख़ानी से जुड़े मामले आते रहे, पर कोई पुख्ता साक्ष्य न होने के चले कार्रवाई नहीं की गई। अंत में बीओजी ने आरोपी प्रोफेसर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने पर सहमति जताई।
बीओजी ने तय किया कि एक जनवरी से प्रो. शलभ व प्रो. गौतम देव सीनेट के नए मेंबर होंगे। इन फैसलों के बारे में आईआईटी के आलाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। हालांकि आईआईटी परिसर में प्रोफेसर से जुड़े मामले और उस पर लिए गए फैसले की दिन भर चर्चा रही।