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International Women’s Day: पति की बेरोजगारी का झेला दंश, फिर इस महिला ने बदल दी कई गांवों की तस्वीर, प्रदेशभर में चर्चा

कृषि सखी, राजमिस्त्री, बैंकसखी का कार्य करने वालीं कक्षा 12वीं तक पढ़ीं शकुन 11 नवंबर 2017 को सरस्वती स्वसहायता समूह बनाया। जिसमें 17 सदस्य जोड़े और अध्यक्ष बनकर महिलाओं को सशक्त करने का सफर शुरू किया। सेटरिंग का काम शुरू किया और समूह को सशक्त बनाने के बाद गांव में एक-दो नहीं बल्कि 28 समूह बनाए, जिसमें 334 महिलाओं को जोड़कर स्वरोजगार से जोड़ा।

कटनीMar 08, 2020 / 09:48 am

balmeek pandey

Shakun Bai's unique story of success on World Women's Day

Shakun Bai’s unique story of success on World Women’s Day

कटनी. कहते हैं यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर आप असंभव को भी संभव बना सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखा रही हैं चरी निवासी शकुन बाई। जिनके प्रयास और संघर्ष से गांव की तस्वीर बदल रही है। लगभग 2500 की आबादी वाला गांव, खेती और मजदूरी पर आश्रित जीवकोपार्जन, कभी घाटा तो कभी प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल चौपट होने से नुकसान का दंश, वर्षों से आर्थिक स्थिति का संकट, जिससे विजयराघवगढ़ क्षेत्र के ग्राम चरी की लगातार माली हालत खराब हो रही थी। लेकिन पिछले चार वर्षों से न सिर्फ चरी गांव बल्कि आसपास के छह गांव आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से सशक्त हो रहे हैं और यह सब संभव हो पा रहा है गांव की जागरुक शक्ति शकुन बाई पटेल के कारण। पति रज्जू पटेल की बेरोजगारी और आर्थिक तंगी का दंश झेलने के बाद भी शकुन ने हार नहीं मानी। घर, परिवार के साथ पूरे गांव और क्षेत्र को सशक्त करने का बीड़ा उठाया है। चार वर्षों में चरी गांव की तस्वीर तो बदली ही है साथ ही क्षेत्र के दुर्जनपुर, कारीतलाई, टिकरिया, खजुरा, सिंगवारा, परसवारा इत्यादि ग्रामों को भी सशक्त कर रही हैं। महिलाओं के समूह बनाकर स्वरोजागर से जोड़कर आर्थिक सशक्त करने काम कर रही हैं जिससे पूरे गांव की दिशा और दशा सुधर रही है। खास बात तो यह है कि शकुन बाई की प्रदेशभर में चर्चा है। प्रभारी मंत्री प्रियव्रत सिंह भी शकुन बाई द्वारा किए जा रहे प्रयास की सराहना कर चुके हैं।

 

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कड़े संघर्ष का मिल रहा परिणाम
कड़े संघर्ष और मेहनत के दम पर आजीविका मिशन के सहयोग से शकुन महिलाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनी हैं। कृषि सखी, राजमिस्त्री, बैंकसखी का कार्य करने वालीं कक्षा 12वीं तक पढ़ीं शकुन 11 नवंबर 2017 को सरस्वती स्वसहायता समूह बनाया। जिसमें 17 सदस्य जोड़े और अध्यक्ष बनकर महिलाओं को सशक्त करने का सफर शुरू किया। सेटरिंग का काम शुरू किया और समूह को सशक्त बनाने के बाद गांव में एक-दो नहीं बल्कि 28 समूह बनाए, जिसमें 334 महिलाओं को जोड़कर स्वरोजगार से जोड़ा। अब हर माह महिलाओं को 10 से 12 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। शकुन खुद भी फोटोकॉपी सेंटर से घर को सशक्त करने के साथ महिलाओं को आर्थिक सशक्त करने मप्र ग्रामीण बैंक कैमोर में महिलाओं के खाते खुलवा रही हैं।

 

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IMAGE CREDIT: patrika

इन कामों से बदल रही गांवों की तस्वीर
शकुन बाई विभिन्न गतिविधियों को क्षेत्र में बढ़ा रही हैं। चरी गांव से 22 बेरोजगार युवतियों को डीडीयू, जीकेवाई के माध्यम से प्रशिक्षण दिलवाकर 12 युवाओं को बढिय़ा नौकरी दिलाई है। युवक अहमदाबाद, बैंगलोर, नोयडा, भोपाल सहित अन्य शहरों में रुपये कमा रही हैं। 24 युवाओं को प्रशिक्षण दिलाकर स्वरोजगार से जोडऩे का काम किया है। जैविक कृषि को बढावा देने के लिये जैविक कीटनाशक, जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नॉडेप इत्यादि कार्यों को आगे बढ़ा रहीं हैं, जिससे जहरमुक्त खेती हो रही है। सफलता, सरस्वती, दुर्गा, पलक समूह वॉशिंग पाउडर, पलक समूह कपड़ा, किराना, क्षमता समूह ब्यूटी पॉर्लर, दुर्गा समूह फर्नीचर, दीपक समूह में टेंट हाउस का काम, दुर्गा और गंगा समूह में सब्जी, उड़ान और दीपक समूह ईंट निर्माण, गणेश और सरस्वती समूल इलेक्ट्रानिक दुकान, जमुना समूह में सिलाई का काम हो रहा है। इसके अलावा मुर्गीपालन, मनिहारी, सब्जी उत्पादन सहित अन्य गतिविधियों के संचालन से महिलाएं सशक्त हो रही हैं।

 

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सफलता भी लग रही हाथ
शकुन की मेहनत सफलता में भी बदल रही है। गांव के 16 समूहों बेहतर काम कर रहे हैं। जिनके कोष में एक लाख चौरासी हजार रुपये हैं। साथ ही समूहों की आजीविका में वृद्धि के लिए ग्राम संगठन के माध्यम से सीआईएफ में अकेले दस लाख 80 हजार रूपये हैं। शकुन बाई का स्व सहायता समूहों के बैंक खाता खुलवाना, सब्जी उत्पादन आदि में अहम सहयोग दे रही हैं। उनका कहना है कि घर-परिवार के लिए तो हर कोई जीता है यदि गांव समाज और देश के लिए कुछ नहीं किया तो फिर यह जीवन किस काम का। समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से ही देश और सशक्त होगा।

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इनके सहयोग से बढ़ रहे कदम
शकुन बाई ने बताया कि महिलाओं और ग्रामीणों को सशक्त करने में मप्र राज्य ग्रामीण अजीविका मिशन के अधिकारियों की भी इस अभियान में अहम भूमिका है। उनके संबल और सहयोग से वह महिलाओं को आगे बढ़ा पा रही हैं। इसमें शबाना बेगम, जिला परियेाजना प्रबंधक, एनआरएलएम कटनी, वंदना जैन, सहायक जिला प्रबंधक एनआरएलएम कटनी, ईश्वर चन्द त्रिपाठी विकासखण्ड प्रबंधक एनआरएलएम विजयराघवगढ़ एवं ग्राम प्रभारी चरी के सहयोग और समन्वय से वह इस काम को आगे बढ़ा पा रही हैं।

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