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मानसिक रोगियों को नहीं मिला ‘घरौंदा’, दिन सडक़ों पर और रात फुटपाथ पर बीत रही

महिला मनोरोगियों को कई बार असामाजिक तत्वों की हवस का शिकार होना पड़ता हैं।

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कवर्धा. शहर में कुछ वर्षों से मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ गई है। बेहाल सूरत और अपनों से ठुकराए ये लोग सडक़ों पर जहां-तहां घूमते रहते हैं। भूख-प्यास का पता न तन पर कपड़ों का ठिकाना। इनका दिन सडक़ों पर गुजरता है और रात चौक-चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर कटती है।ऐसे दिव्यांगों को नई जिंदगी देने के मकसद से शासन ने घरौंदा योजना शुरू की है। लेकिन जिले में इसका कोई अता-पता नहीं है। शहर की सडक़ों पर आज भी दर्जनों मानसिक रोगी दर-दर की ठोंकरे खा रहे हैं।

मानसिक नि:शक्तों के लिए वर्ष 2013 में शासन ने घरौंदा योजना बनाई। योजना के तहत इन्हें शासकीय आवास उपलब्ध कराने दावा किया गया, लेकिन पांच बरस बाद भी इस योजना के तहत कवर्धा शहर में एक भी शासकीय आवास नहीं बनाया जा सका। वहीं जिला प्रशासन आज भी इस योजना पर अमल करने बजट का इंतजार कर रही है।

शहर में कई विक्षिप्त महिला व पुरुष घूमते हैं, जो सडक़ों पर ही जीवन गुजार रहे हैं। महिला मनोरोगियों को कई बार असामाजिक तत्वों की हवस का शिकार होना पड़ता है। इसके अलावा कई तो भिक्षुओं की जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे लोगों को स्थापित करना निश्चित ही एक सराहनीय कदम होता।

विभागीय अधिकारियों की मानें तो शासन ने घरौंदा योजना लागू तो कर दी है, लेकिन वह संभाग स्तर पर चलाई जा रही है। जिले में योजना को लागू करने के लिए बजट उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसके कारण योजना केवल घोषणा तक ही सिमटी हुई है। इसके कारण जो फूटपाथ पर दिन रात गुजार रहे हैं , उनके लिए शासन से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि सरकार कई योजनाएं चला रही है। लेकिन घंरौदा योजना दम तोड़ती हुई दिखाई दे रही है।

घरौंदा योजना उन लोगों के लिए बनाई गई है, जिनका कोई वारिस नहीं है और सडक़ों-फूटपाथ में जिंदगी गुजारते हैं। ऐसे लोगों के लिए अलग से आवास बनाकर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना ही शासन का मकसद है। योजना के तहत शासन ने प्रत्येक जिला मुख्यालय में तीन करोड़ रुपए की लागत से आवासीय केंद्र बनाने की घोषणा की थी, जो अब तक अधूरी है।


समाज कल्याण विभाग कबीरधाम के उप संचालक नवीन भट्ठ ने बताया कि प्रदेश में संभाग स्तर पर विक्षिप्तों के लिए घरौंदा योजना चलाई जा रही है। जिलों में भी इस योजना को लागू करने प्रक्रिया जारी है। शासन द्वारा इसके लिए जिले को कोई बजट उपलब्ध नहीं कराई गई है। बजट मिलने पर ही काम किया जा सकता है।