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कोलकाता

राज्य में होने लगी नर्सों की किल्लत

कोराना काल में घर पर देखभाल के लिए मांग बढऩे से राज्य में नर्सों की किल्लत महसूस की जाने लगी है। कोलकाता तथा आसपास के अस्पतालों से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना मरीज घर पहुंच रहे हैं तो उनको कमजोरी के चलते किसी की मदद की आवश्यकता पड़ रही है। ऐसे में परिजन आया तथा नर्स मुहैया कराने वाली एंजेंसियों से सम्पर्क साध रहे हैं।

कोलकाताNov 30, 2020 / 10:59 am

Rabindra Rai

राज्य में होने लगी नर्सों की किल्लत

राज्य में होने लगी नर्सों की किल्लत

घर पर देखभाल के लिए परेशान हो रहे मरीज
मांग में करीब 20 फीसदी का इजाफा
कैलाश प्रसाद
कोलकाता. कोराना काल में घर पर देखभाल के लिए मांग बढऩे से राज्य में नर्सों की किल्लत महसूस की जाने लगी है। कोलकाता तथा आसपास के अस्पतालों से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना मरीज घर पहुंच रहे हैं तो उनको कमजोरी के चलते किसी की मदद की आवश्यकता पड़ रही है। ऐसे में परिजन आया तथा नर्स मुहैया कराने वाली एंजेंसियों से सम्पर्क साध रहे हैं। गैर कोविड मरीजों को भी मददगार की जरूरत पड़ रही है। मरीजों के लिए आया तथा प्रशिक्षित नर्स मुहैया कराने वाली ऐसी एजेङ्क्षसयों का दावा है कि विगत कुछ सप्ताहों से मांग में करीब 20 फीसदी का इजाफा देखा गया है।
वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. संजय मंडल का कहना है कि इन दिन गैर कोविड मरीज के मामले बढ़ गए हैं। वे अपनी किसी पुरानी बीमारी का इलाज करा रहे हैं तथा सर्जरी करा रहे हैं। ऐसे में मांग बढऩा स्वाभाविक है। डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 60-70 साल के मरीजों को घर में पेशागत सहायता चाहिए। वॉशरूम में जाने या खाने पीने के समय किसी की जरूरत पड़ती है, क्योंकि वे बेहद कमजोर होते हैं। चलना-फिरना मुश्किल होता है। कोविड मरीजों को क्लीनिकल केयर की बजाय मददगार चाहिए।

एजेंसी नहीं करा पा रही मुहैया
दक्षिण कोलकाता के एक मरीज ने परिजन ने बताया कि उसने आया तथा प्रशिक्षित नर्स मुहैया कराने वाले होमकेयर तथा लोकल सेंटर से बात की तो उनलोगों ने कहा कि दो तीन बाद ही सेवा मुहैया करा पाएंगे। घर पर नर्स मुहैया कराने वाली एक एजेंसी के पदाधिकारी ने कहा कि कोविड और गैर कोविड मरीजों के परिजनों के फोन कॉल गत कुछ सप्ताह से लगातार आ रहे हैं। करीब 40-45 नर्स मुहैया कराने वाली इस एजेंसी की स्थिति यह है कि वो नर्स या आया मुहैया नहीं करा पा रही है।

लोग नहीं उठाना चाहते जोखिम
अपोलो होम हेल्थकेयर की कोलकाता यूनिट में करीब 120 नर्सें है। इसकी नर्सें पर खाली नहीं हैं। इसके यूनिट प्रमुख का कहना है कि कई जनों ने किराये पर नर्स के लिए हमें कॉल किया, पर हमने मुहैया कराने में असमर्थता जाहिर की। इधर उत्तर 24 परगना के बैरकपुर की एक एजेंसी के पदाधिकारी ने बताया कि आमतौर पर वे लोग अभी जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं, जिनके परिजन कोरोना से मुक्त हुए हैं, इसलिए आया या नर्स की सेवा लेना चाहते हैं।

डिग्रीधारी दे रही सरकारी अस्पताल को तरजीह
ऑक्जलरी नर्सिंग मिडवाइफरी तथा जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी से डिग्रीधारी नर्सें आमतौर पर बेहतर विकल्प खोजती हैं। कम पैसे के चलते इनमें से कम ही होमकेयर एजेंसियों से जुड़ती हैं। इसलिए होमकेयर के लिए आमतौर पर नर्सों की कमी रहती है। फिलहाल कोरोना काल में इनकी कमी और बढ़ गई है। जबकि हाल के 15 दिनों में इनकी मांग बढ़ गई है। कोरोना महामारी से पहले निजी अस्पताल अपनी नर्सों को गंभीर रूप से बीमार मरीजों के घर भेजना पसंद करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कमी के चलते अस्पतालों ने नर्सों को घर भेजने से मना कर दिया है।

इनका कहना है
इन दिनों हम नर्सों की कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं। हाल के दिनों में अधिकांश नर्सों ने सरकारी अस्पताल को तरजीह दी है। बाकी नर्सें कोविड वार्ड में सेवा दे रही है। लिहाजा घर पर भेजने के लिए नर्सें उपलब्ध नहीं हैं।
पदाधिकारी, निजी अस्पताल, कोलकाता

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