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कोरबा में कम मतदान कांग्रेस के पक्ष में या भाजपा के लिए लाभदायक, आंकलन कर रहे उम्मीदवार

CG Election 2023 मतदान में गिरावट न सिर्फ शहरी क्षेत्रों में दर्ज की गई है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। यह निर्वाचन आयोग के लिए सोचने का विषय हो सकता है कि कमी क्यों हुई? इसके क्या कारण थे? मगर क्षेत्र के मतदाता वोटिंग प्रतिशत में आई कमी से ज्यादा यह जानने को लेकर उत्साहित हैं कि चुनाव में कौन जीत रहा है? शहर से लेकर गांव तक यह चर्चा चल रही है कि अबकी बार विधायक की कुर्सी पर कौन होगा?

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कोरबा में कम मतदान कांग्रेस के पक्ष में या भाजपा के लिए लाभदायक, आंकलन कर रहे उम्मीदवार

कोरबा में कम मतदान कांग्रेस के पक्ष में या भाजपा के लिए लाभदायक, आंकलन कर रहे उम्मीदवार

इस सवाल का जवाब राजनीति दल भी तलाश रहे हैं। इसके लिए विश्लेषण कर रहे हैं। विधानसभा के चुनाव संपन्न हो गए हैं। आयोग की ओर से मतदान के अंतिम आंकड़े जारी किए गए हैं। इससे पता चला है कि जिले में विधानसभा की चारों सीटों पर औसत 74.08 फीसदी मतदान हुआ है, जो 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 4.76 फीसदी कम है।

शनिवार को कांग्रेस ने बूथवार मतदान की समीक्षा की। यह जानने का प्रयास किया कि किस बूथ पर कितने लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है? इस बूथ पर वोट का पुरानी रिकार्ड क्या है? वर्ष 2018 के चुनाव में बूथ पर कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त मिली थी या भाजपा ने बूथ को जीता था। भाजपा मंडलवार बूथों पर वोटों के गणीत को समझकर चुनाव परिणाम तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

दोनों ही पार्टियां अपने- अपने तरीके से किए गए आंकलन के आधार पर दावा कर रही है कि इस बार उनकी जीत होगी। लेकिन जीत तो किसी एक पार्टी की ही होगी। इसका पता तीन दिसंबर को चलेगा। जब आयोग मतों की गणना के लिए ईवीएम को स्ट्रांग रूम से बाहर निकलेगा। तब तक मतदाता को अपने- अपने तरीके से जीत हार का आंकलन करना होगा और परिणाम के लिए गणना तक का इंतजार है। फिलहाल विधानसभा की सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को वोटरों ने ईवीएम में लॉककर दिया है। अब लोगाें को ईवीएम खुलने का इंतजार है। जो तीन दिसंबर को पूरी होगी। इसी दिन प्रत्याशियों की जात और हाल का फैसला हो सकेगा।

कम मतदान का पुराना रिकार्ड कांग्रेस के पक्ष में

बूथों पर पड़ने वाले वोट का आंकलन करने वाले राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि अभी तक बूथों पर होने वाला सामान्य मतदान मौजूदा विधायक के पक्ष में रहता है। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कोरबा सीट पर 63.45 फीसदी वोट डाले गए थे। वर्ष 2013 में 69.89 फीसदी, वर्ष 2018 में 71.96 फीसदी लोगाें ने अपने मताधिकर का प्रयोग किया था। तीनों बार इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्र्रवाल की जीत हुई। इसबार वर्ष 2018 की तुलना में कोरबा सीट पर 5.66 फीसदी मतदान कम हुआ है। 66.30 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। कम मतदान कांग्रेस के पक्ष में है या भाजपा के लिए सकारात्मक संदेश है। इसका आंकलन कोरबा सीट से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी और समर्थक कर रहे हैं। इस सीट पर दोनों अपना दावा कर रहे हैं।


पाली तानाखार में कांग्रेस की मजबूत पकड़ लेकिन इस बार 1.41 फीसदी कम पड़े वोट

पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है। यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी होते आए हैं। इसबार यहां पार्टी ने दुलेश्वरी सिदार को प्रत्याशी घोषित किया था। गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर सिंह मरकाम और भाजपा के रामदयाल के आने से मुकाबला त्रिकोणीय रह। पाली तानाखार सीट पर 80.73 फीसदी वोट पड़े हैं। जबकि वर्ष 2018 में इस सीट पर 82.14 फीसदी डाले गए थे। पूर्व की तुलना में मतदान में 1.41 फीसदी की कमी आई है। तानाखार सीट के पुराने रिकार्ड को देखकर कांग्रेस जीत का दावा कर रही है तो गोंड़वाना को इस बार बदलाव की उम्मीद है।

रामपुर क्षेत्र में 3.97 फीसदी कम मतदान

विधानसभा की रामपुर सीट पर मतदान में इस बार पिछले चुनाव की तुलना में 3.97 फीसदी की कमी आई है। रामपुर में इस बार 79.36 फीसदी वोट डाले गए हैं। जबकि वर्ष 2018 में 83.33 फीसदी मतदाताआें ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। वोट प्रतिशत के मतदान में कमी को भाजपा अपने लिए नुकसान दायक नहीं मान रही है। उसे उम्मीद है कि इस बार भी यहां से ननकीराम कंवर की जीत होगी। वहीं कांग्रेस के फूलसिंह राठिया को बदलाव की उम्मीद की।

कटघोरा में भी कम पड़े वोट

वर्ष 2018 की तुलना में इस बार कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में भी मतदान 1.93 फीसदी कम हुआ है। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े संघर्ष में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जोहार छत्तीसगढ़ और कम्युनिष्ट पार्टी की मौजूदगी ने मुकाबला को और कठिन बना दिया है।


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