
हाथियों के लिए सुरक्षित नहीं कटघोरा वनमंडल, करंट से नर हाथी की मौत
वनमंडल में हाथियों की बढ़ती मौत की घटनाओं ने अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में कटघोरा वनमंडल के ग्राम झिनपुरी में एक बेबी एलिफेंट की मौत हो गई थी। वह तालाब में फंस गया था। तब वन विभाग की ओर से बताया गया था कि पानी में फंसने से हाथी का फेफड़ा फेल हुआ। इससे उसकी मौत हुई।
झिनपुरी से पहले दुल्लापुर, लमना, बनिया और ग्राम पचरा में भी हाथियों की मौत हो चुकी है। वन विभाग जंगल में हाथियों की सुरक्षा करने में नाकाम साबित हो रहा है। पिछले साल ग्राम बनिया में हुई हाथी की एक मौत के मामले में वन विभाग ने लगभग आधा दर्जन ग्रामीणों को आरोपी बनाया था। उन पर करंट लगाकर हाथी को मारने का केस दर्ज किया था।
अब विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के गांव पनगवां में करंट से नर हाथी के मौत की घटना की सामने आई है। इस घटना के लिए वन विभाग छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी को जिम्मेदार ठहरा रहा है। वनमंडला अधिकारी कुमार निशांत ने बताया कि जिस स्थान पर हुई है, वहां से ठीक थोड़ा उपर 11 किलो वाट बिजली की लाइन गुजर रही है। रात में विचरण के दौरान नर हाथी का सूंढ बिजली की तार के सम्पर्क में आ गया। इससे हाथी की मौत हुई। मामले की जांच की जा रही है।
गांव के पास जंगल में नर हाथी की मौत की सूचना पर ग्राम पनगवां बस्ती और इसके आसपास के क्षेत्रों से ग्रामीण बड़ी संख्या में घटनास्थल पर पहुंचे थे। गांव के लोग हाथी की मौत का कारण जानने के लिए उत्सुक थे। इसे लेकर वन विभाग के कर्मचारियों से पूछ रहे थे।
60 हाथियों का झुंड कर रहा विचरण
कटघोरा वनमंडल में पसान, केंदई, एतमानगर और जटगा वन परिक्षेत्र हाथियों से प्रभावित है। चारों वन परिक्षेत्र में लगभग 60 हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है। एक झुंड पसान क्षेत्र में ठहरा हुआ था। इसी झुंड से अलग होकर एक नर हाथी ग्राम पनगवां के आसपास विचरण कर रहा था।
दंतौल हाथी की मौत के बाद हाथियों का झुंड आक्रोशित हो सकता है। इसे देखते हुए वन विभाग सतर्क हो गया है। गौरतलब है कि कटघोरा वनमंडल का घना जंगल हाथियों को पसंद आ गया है। इस क्षेत्र में हाथियों का झुंड कई साल से ठहरा हुआ है। जंगल में चारा पानी की उपलब्धता होने से होने हाथियों ने इस क्षेत्र को अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है। इससे क्षेत्र के लोग परेशान हैं। हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कई बार ग्रामीणों की जान तक चली गई है। हाथियों की जान भी इस क्षेत्र में सुरक्षित नहीं है।
Published on:
28 Nov 2023 12:15 pm
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