12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खराब रिजल्ट वाले स्कूल प्राचार्यों को अब नोटिस नहीं, इनके साथ कुछ ऐसा करेंगे डीईओ

डीईओ द्वारा प्राचार्यों की मीटिंग लेकर उन्हें अपना प्लान तो बताया गया, लेकिन इस वष्र का परीक्षा परिणाम कमजोर क्यों रहा? इसके लिए कोई कार्रवाई प्राचार्यों पर नहीं की जा रही है।

2 min read
Google source verification

कोरबा

image

Shiv Singh

Sep 25, 2018

खराब रिजल्ट वाले स्कूल प्राचार्यों को अब नोटिस नहीं, इनके साथ कुछ ऐसा करेंगे डीईओ

खराब रिजल्ट वाले स्कूल प्राचार्यों को अब नोटिस नहीं, इनके साथ कुछ ऐसा करेंगे डीईओ

कोरबा. सीजी बोर्ड से सरकारी स्कूलों में कमजोर परीक्षा परिणाम देने वाले के प्राचार्यों पर कार्रवाई करने मेें डीईओ के हाथ कांप रहे हैं। स्थिति यह है कि नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगने की बजाय डीईओ प्राचार्यों को मोटिवेट करने की बात कह रहे हैं।

इस वर्ष १०वीं हो १२वीं जिले का परीक्षा परिणाम राज्य के औसत से कम रहा है। १०वीं में जिले का औसत सफलता दर ६५ है तो १२वीं में ७८ फीसदी है। नियमानुसार जिले के औसत दर से कम परीक्षा परिणाम देने वाले वाले स्कूल के प्राचार्यों को नोटिस जारी किया जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान डीईओ द्वारा प्राचार्यों की मीटिंग लेकर उन्हें अपना प्लान तो बताया गया, लेकिन इस वष्र का परीक्षा परिणाम कमजोर क्यों रहा ? इसके लिए किसी तरह की कोई कार्रवाई प्राचार्यों पर नहीं की जा रही है।

Read More : आयुष्मान भारत : जिले में खोले जा रहे हैं 87 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, इन्हें मिलेगा पांच लाख तक का मुफ्त इलाज

तकनीकी तौर पर बात करें तो जिला शिक्षा अधिकारी को हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में पदस्थ प्राचार्यों पर कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं है। स्थानांतरण से लेकर वेतन व इंक्रीमेंट भी नहीं रोका जा सकता है। डीईओ केवल अनुशंसा कर सकते हैं। वह भी बेहद दुर्लभ प्रकरणों में और कलेक्टर से अनुमति लेने के बाद। यही कारण है कि प्राचार्यों को कार्रवाई का डर नहीं होता। वह मठाधीश बनकर सालों से पद पर जमे हुए हैं। कई प्राचार्यों १०-१० साल से एक ही स्कूल में पदस्थ हैं। जिन्हें खराब परीक्षा परिणाम के बाद भी हटाया नहीं जाता।

प्राचार्यों की ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़ा खेल चलता है। यह सीधे तौर पर शासन स्तर का मामला होता है। शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों के अटैचमेंट हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन सालों से एह ही स्थान पर जमें प्राचार्यों के विषय में कोई भी बात नहीं होती। जिसकी जितनी अच्छी सेटिंग होती है। उसे उतने ही लंबे समय के लिए मनमाफिक स्थान पर पदस्थापना दी जाती है। फिर चाहे स्कूल में पढाई का स्तर खराब हो या परीक्षा परिणाम कमजोर आ रहे हों, तब भी इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।

सबसे खराब परिणाम वाले हायर सेकेंडरी स्कूल
उमरेली, मोंगरा, कोरबी धतूरा, उतरदा, नोनबिर्रा, जवाली, पोड़ी उपरोड़ा, गोढ़ी, रामपुर, तुमान, सिरमिना, कुदुरमाल, बालक बालको, सेन्द्रीपाली, पडनिया, जर्वे, मदनपुर, ढेलवाडीह, कोरबा, लाफा, कन्या हरदीबाजार, नोनबिर्रा, बालक हरदीबाजार, सिंघिया, बालक पसान, कन्या बालको, तिलकेजा, फरसवानी, एनसीडीसी, पीडब्ल्यूडी रामपुर, श्यांग, चैतमा, रजगामार, दीपका, उरगा, करईनारा।

इन हाई स्कूलों के परिणाम 50 फीसदी से कम
तिलईडांडा, बिरदा, गोंढी, दीपका, लाफा, बरेली, नोनबिर्रा, बरपाली, आमगांव, पाली, गोपालपुर, ढिटोरी, सोनपुरी, नुनेरा, बालक पसान, रजगामार, कर्री, बुढियापाली, नोनदरहा, सोहागपुर, बड़ेबांका, पुरेनाखार, पटपरा, दादरखुर्द, पोड़ी (लाफा), बालक हरदीबाजार, मोंगरा, सेमरा, कन्या पसान, पोटापानी, बालक बालको, कन्या हरदीबाजार, तनेरा, चचिया, श्यांग, सरभोंका, फुलसरी, मढ़वाडोढा, चैतमा, सिमगा, कोहडिय़ा, चिर्रा, सेन्हा, लेमरू, बड़मार।

-कमजोर परीक्षा परिणाम वालो प्राचार्यों को मोटिवेट करके काम लिया जाएगा। नोटिस जारी किया तो भय का माहौल निर्मित होगा जिससे परिणाम और भी बिगड़ सकते हैं। बेहतर तरीके से काम किया जाएगा। जिससे परिणामों में निश्चित तौर पर सुधार होंगे- सतीश कुमार पाण्डेय, डीईओ