चिरमिरी पोड़ी. कोरोना (Coronavirus) से जंग लडऩे में हर कोई मुस्तैद है। डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ, पुलिस समेत कुछ अन्य ऐसे हैं जो अपना परिवार छोड़ हर दिन घर से बाहर रहकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। महामारी के इस दौर में खुद को सुरक्षित रखना और दूसरों को भी सुरक्षित रखने के साथ जागरुक करने की जिम्मेदारी ये बखूबी निभा रहे हैं।
ये कोरोना के कर्मवीर हैं, रियल हीरोज हैं। पत्रिका परिवार ऐसे लोगों को सैल्यूट करता है। ऐसे ही कई लोग हैं जो केंद्र व राज्य सरकार के आपदा राहत कोष में हजारों, लाखों रुपए दान कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ काम कोरिया जिले के बरतुंगा कोल माइंस के खान मैनेजर एके तरस दास ने किया है।
उन्होंने श्रमिकों को कोरोना से सुरक्षित रखने खुद के खर्चे से ऑटोमेटिक सेनिटाइजिंग चैंबर (Automatic sanitizing chamber) बनवाया है। अब ड्यूटी आते व जाते समय यहां काम करने वाले करीब 600 श्रमिक हर दिन इस चैंबर से गुजरकर सेनिटाइज होंगे। मैनेजर का ये काम किसी रियल हीरो की तरह ही है।
इन दिनों कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। पीएम ने देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा की है। महामारी से बचने खुद को सेनिटाइज करने, हर दिन हाथ धोने तथा घर पर रहने की सलाह दी गई है। इधर कोल माइंस में कोयले का उत्पादन जारी है।
यहां के श्रमिक व अधिकारी-कर्मचारी भी खुद को हर तरह से सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में कोरिया जिले के एसईसीएल बरतुंगा माइंस के खान मैनेजर एके तरस दास ने कोरोना के संक्रमण से बचाव व रोकथाम के लिए ऑटोमेटिक सेनिटाइजिंग मशीन लगवाया है।
इस सराहनीय पहल की मुख्य महाप्रबंधक बब्बन सिंह प्रशंसा करते हुए बरतुंगा हिल माइंस के खान मैनेजर व उनकी टीम को एसइसीएल बिलासपुर और कोल इंडिया को सम्मानित करने अनुशंसा की है। टीम में एके तरस दास के अलावा चेंबर को बनाने में सेफ्टी कमेटी के ख्वाजा अली, राजेश्वर श्रीवास्तव, रंजीत विश्वास, पारसो पाल, दीप बाबू सहित अन्य शामिल हैं।
हर दिन 600 श्रमिक होंगे सेनिटाइज गौरतलब है कि बरतुंगा माइंस में हर दिन करीब 600 श्रमिक कोयले का उत्पादन करते हैं। एसईसीएल चिरमिरी में कोयले का सुरक्षित उत्पादन के उद्देश्य से यह चैंबर लगाया गया। है, इस चैंबर से गुजरकर 600 अधिकारी-कर्मचारी रोजाना सेनिटाइज होंगे।
कोयला खदान में घुसने से पहले श्रमिकों को ऑटोमेटिक सेनिटाइजिंग चेंबर से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान सेनिटाइजिंग चेंबर में कदम रखने के बाद अचानक स्प्रे मशीन स्टार्ट हो जाती है और श्रमिकों को सेनिटाइज करती है। ऑटोमेटिक स्प्रे मशीन से महज चंद मिनट में सिर से लेकर पैर तक श्रमिक सेनिटाइज हो जाते हैं।
साथ ही ड्यूटी खत्म कर जब खदान से बाहर निकलते हैं तो दोबारा चेंबर से पुन: गुजरना होता है। ऑटोमेटिक सेनिटाइङ्क्षजग चेंबर के बन जाने से 600 श्रमिक वायरस की चपेट में आने से सुरक्षित रह सकेंगे।
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