हेमंत ने गुरु वंदना के बाद ‘जय राधे राधे…’ का राधेनाम संकीर्तन किया तो राधे रानी के जयकारे गूंज उठे। इसके बाद सांवरे तेरे बिन जिया ना जाए’, ‘बांके बिहारी मोहना’ और ‘अरज सुन मोरी’ और ‘कजरारे तेरे मोटे मोटे नैन’ ‘सबके सहारे लाखों मुझे श्याम का सहारा है” जैसे भजनों की प्रस्तुति दी। इसके बाद फिल्मी गीत मेरे यार को मना ले भोले.. मस्ती में रंग मस्ताने हो गए.. के द्वारा भक्तिमय माहौल को ऊंचाइयां दी।
हेमंत ने भजन, सूफी और फिल्मी गाने गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंजाबी गानों की धुनों पर युवाओं को झुमाया तो सूफी गाकर उम्रदराज लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। देर रात तक मुक्ताकाशी मंच के सामने श्रोता बांके बिहारी के जयकारे लगाते रहे। फरमाइशों और गानों का दौर देर रात तक चलता रहा।
भजन संध्या के दौरान मंच पर एक से बढ़कर एक झांकियों ने भक्तों का मनमोह लिया। इस दौरान राधेकृष्ण, राम दरबार, गणपति और हनुमान समेत विभिन्न झांकियां बनाई गई थी। हेमन्त के साथ पिता हुकुम बृजवासी, भाई होशियार बृजवासी ने भी जबर्दस्त साथ दिया।