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खाने और रूकने की व्यवस्था नहीं होने पर रोज 200 किमी का सफर तय किया, अब किसान की बेटी बनेगी डॉक्टर..

पिता कैलाशसिंह ने बारहवीं तक पढ़ाई की। जबकि माता अनुसूइया केवल आठवीं पास हैं।

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कोटा

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Rajesh Tripathi

Jun 11, 2019

kota news

खाने और रूकने की व्यवस्था न होने पर रोज 200 किमी का सफर तय किया, अब किसान की बेटी बनेगी डॉक्टर..

कोटा. जिले के रामगंजमंडी निवासी एक किसान की बेटी अब डॉक्टर बनेगी। बबीता तंवर ने नीट (यूजी) परीक्षा में 552 अंक प्राप्त कर अखिल भारतीय वरीयता क्रम में 23164वां एवं एस.सी. कैटेगरी में 418वां स्थान प्राप्त किए है। उसके पिता चारा बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं।

बबीता के पिता कैलाशसिंह ने बारहवीं तक पढ़ाई की। जबकि माता अनुसूइया केवल आठवीं पास हैं। छह भाई-बहन का परिवार होने आर्थिक रूप से विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने सभी बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

यह खबर उन छात्रों के लिए, जिनका नीट अथवा ऐसी
ही किसी परीक्षा में चयन नहीं हुआ..

बबीता हमेशा से ही पढ़ाई में अव्वल रही है। उसने राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय तक 12वीं तक पढ़ाई की। दसवीं में 83.33 प्रतिशत व बारहवीं में 86.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। 2017 में बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद वह डॉक्टर बनना चाहती थी परन्तु उसे डॉक्टर की पढ़ाई की ज्यादा जानकारी नहीं थी। उसने बीएससी की पढ़ाई शुरू की, लेकिन उसका मन इस पढ़ाई में नहीं लगा। इसी बीच वह शिक्षक सीपी जैन से मिली। उन्होंने उसे नीट परीक्षा के बारे में जानकारी दी और कोटा कोचिंग में प्रवेश दिलाने में सहायता की। प्रवेश लेने के बाद भी बबीता का संघर्ष समाप्त नहीं हुआ। वह रामगंजमंडी से क्लास अटेण्ड करने के लिए रोजाना अप-डाउन करने लगी, क्योंकि उसके पास रूकने और खाने की व्यवस्था नहीं थी। काफ ी दिनों तक यह संघर्ष यूं ही चलता रहा। रेजोनेन्स ने भी उसकी परिस्थितियों को समझते हुए उसे छात्रवृत्ति प्रदान की। आर्थिक मदद मिली तो वह कोटा में रहने लगी। इससे उसका पढ़ाई का समय बचा और उसने एक वर्ष की पढ़ाई में ही अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया। वह एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर में प्रवेश लेकर ह्दय रोग विशेषज्ञ बनना चाहती है।