
Exclusive interview with legendary poet Gopal Das Neeraj
कवि और साहित्यकार, रचनाकार, संगीत और चित्रकार खूब होते हैं, लेकिन सच्चा कलाकार वही होता है जो लोगों के दिलों पर न सिर्फ छा जाए बल्कि लोगों को उसकी कला से राहत भी मिले। एेसे ही एक गीतकार साहित्यकार हैं 92 वर्षीय पद्मभूषण से अलंकृत गोपाल दास 'नीरज'। सहज और सरल कवि नीरज के काव्य शैली गीत और साहित्य से शायद ही कोई साहित्य प्रेमी अनभिज्ञ हो। मेला दशहरा में शनिवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शिरकत के लिए वे कोटा आए। 'पत्रिका' से मुलाकात में उन्होंने कविताओं के अर्थ से लेकर उद्देश्य तक पर चर्चा की। खुद की यात्रा, साहित्य जगत में बदलाव से लेकर संदेश जैसे पहलुओं पर बेबाक बात रखी। प्रस्तुत हैं बेबाकी के कुछ अंश...
कविता...
कवि नीरज कहते हैं, 'आत्मा के सौन्दर्य का शब्द रूप है काव्य, मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य।' सच में गीत, गजल या कविता वह है जो श्रोताओं को खुद तालियां बजाने पर मजबूर करे, लेकिन अब उल्टा हो रहा है। साहित्य, कविता से समाज को बदला जा सकता है, उसे नई दिशा दी जा सकती है। जो लोगों का मार्गदर्शन करे, सही मायने में वही कविता है।
कवि और जनरुचि
कवि बनने से सम्बन्धित प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि कवि कोई बनता नहीं है। यह ईश्वरीय वरदान होता है। जबकि जन रुचि के सवाल पर नीरज ने कहा कि आज के दौर में कितनी ही पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन दौड़ भाग में साहित्य के प्रति लोगों की रूचि कम हो गई है।
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खुद पर...
'कहता है जोकर सारा जमाना आधी हकीकत आधा फसाना.. बस यही अपराध में हर बार करता हूं आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...., आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन मेरा मन....सरीखे गीतों को लिखने वाले गीतकार नीरज ने कहा कि परेशानियों के दौर में उनकी कला निखरी। खुद की निराली तासीर के बारे में सवाल किया तो उन्होंने जोड़ा, 'मैं तो जिस मौसम का राजा था, वह मौसम तो गुजर गया।'
Published on:
15 Oct 2017 10:44 am
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