बजरी माफिया का दुस्साहस: परिवहन निरीक्षक को डम्पर से कुचलने का प्रयास
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में बहने वाली ताकली नदी में कोटड़ी के समीप बड़े पैमाने पर बजरी का अवैध खनन हो रहा है। बजरी माफिया नदी में शावल मशीन लगाकर डंफरों से रोजाना अवैध खनन कर बजरी ले जा रहे हैं। दिन दहाड़े दर्जनों डम्फर ट्रैक्टर प्रशासन के सामने से गुजर जाते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। जबकि प्रदेश में बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट ने पाबन्दी लगा रखी है और राज्य सरकार ने राज्य में बजरी खनन नहीं होने का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे रखा है। जिसकी जिम्मेदारी राज्य के पुलिस, वन, राजस्व एवं खान विभाग को दी हुई है। इसके बाद भी क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा बजरी खनन का अवैध व्यापार कहीं ना कहीं प्रशासन की मिलीभगत को इंगित करता है।
बजरी माफियों का कहना है कि नदी में बजरी निकालने के लिए पहले सभी अधिकारियों से बात की है। यहां तक कि यहां गांवों में आने वाले बजरी के ट्रैक्टरों को भी नहीं पकड़ा जाएगा।
होली के पहले ही निगम ने दिखाया असली रंग..
पत्रिका ने खोली थी पोल
ताकली नदी में हो रहे अवैध खनन पर राजस्थान पत्रिका ने लगातार खबरें प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान इस और दिलाया था, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया। मंगलवार को हुआ हादसा भी प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। यदि प्रशासन द्वारा बजरी के अवैध व्यापार पर सख्ती दिखाई होती तो शायद दो श्रमिक हादसे के शिकार नहीं होते।