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kota coaching:पढ़ाई छोड़कर जा रहा था घर, फैकल्टीज ने रोका, अब इंजीनियर बनेगा राहुल

कोटा शिक्षा के साथ संघर्ष का हौसला भी देता है। ओडिशा के अंगुल जिले के निर्धन बीपीएल परिवार के प्रतिभावान राहुल कुमार साहू की तकदीर कोटा ने बनाई है। जेईई मेन के परिणामों में छात्र राहुल ने 99 पर्सेन्टाइल स्कोर के साथ ऑल इंडिया रैंक 17873 तथा ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4459 प्राप्त की। अब जेईई-एडवांस्ड की तैयारी कर रहा है।

कोटाApr 29, 2024 / 01:00 pm

Abhishek Gupta

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ओडिशा के अंगुल जिले के बीपीएल परिवार के प्रतिभावान राहुल कुमार साहू की तकदीर कोटा ने बनाई है। जेईई मेन में छात्र राहुल ने 99 पर्सेन्टाइल स्कोर के साथ ऑल इंडिया रैंक 17873 तथा ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4459 प्राप्त की।

कोटा शिक्षा के साथ संघर्ष का हौसला भी देता है। ओडिशा के अंगुल जिले के निर्धन बीपीएल परिवार के प्रतिभावान राहुल कुमार साहू की तकदीर कोटा ने बनाई है। कोटा उसके साथ ऐसे समय खड़ा रहा, जब उसे सबसे ज्यादा जरूरत थी। जेईई मेन के परिणामों में छात्र राहुल ने 99 पर्सेन्टाइल स्कोर के साथ ऑल इंडिया रैंक 17873 तथा ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4459 प्राप्त की। अब जेईई-एडवांस्ड की तैयारी कर रहा है।
कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद इंजीनियर बनने के लिए राहुल कोटा आया। यहां कोचिंग में एडमिशन लिया। संस्थान में अपनी स्थिति बताई तो शुल्क में 50 प्रतिशत की रियायत मिली। पढ़ाई में कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जब टेस्ट के परिणाम अपेक्षानुरूप नहीं आने लगे तो राहुल परेशान हो गया। जैसे-तैसे एक साल पूरा हुआ। राहुल को लगा कि वो लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेगा और पापा की गाढ़ी कमाई भी खराब हो जाएगी। उसने पापा से बात की और वापस लौटने का फैसला ले लिया। परीक्षा में शामिल हुए बिना ही वापस जाने के इस फैसले के संबंध में जब संस्थान में काउंसलर्स को बताया तो उन्होंने समझाया, मोटिवेट किया। राहुल और उसके पिता को लगा कि परीक्षा में शामिल होना चाहिए, फिर राहुल मेहनत करने में जुट गया। संघर्ष से इस सफलता का परिणाम भी सकारात्मक रहा। जेईई-मेन में 99 पर्सेन्टाइल स्कोर किया।
थड़ी से चलता है परिवार

राहुल ने कहा कि हमारे परिवार में पहले कोई भी इंजीनियर नहीं बना। पिता सिर्फ 10वीं व मां 12वीं तक पढ़ी हैं। मेरे पिता सरोज कुमार साहू की अंगुल में छोटी सी थड़ी है। इसी पर परिवार निर्भर है। मां ज्योत्सना मयी साहू गृहिणी हैं और परिवार बीपीएल श्रेणी में है। जब मेरे कोटा जाने के निर्णय के बारे में पता चला तो रिश्तेदारों ने खुद आगे आकर मदद करने की पहल की। पहले फीस का इंतजाम किया। इसके बाद हर महीने किराए एवं खाने के पैसे भी रिश्तेदार पैसे जोड़कर मुझे भेज देते हैं।
बोरी-बिस्तार बांधा

राहुल ने बताया कि वर्ष 2023-24 में अक्टूबर में आमदनी घट गई तो आर्थिक स्थिति कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी। टेस्ट में मेरी परफोरमेंस भी डाउन हो गई थी। पापा ने मुझे पढ़ाने में असमर्थता जता दी। मेरे पास भी कोई उपाय नहीं था। इसलिए कोटा से जाने का निर्णय लेना पड़ा और कमरा खाली कर दिया था। यह बात कोचिंग फैकल्टीज को पता चली तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि ‘कोटा निराश करके नहीं भेजता। यदि तुमने मेहनत की तो सपना जरूर साकार होगा। मैं 10वीं कक्षा में इंटरनेशनल मैथेमेटिकल ओलंपियाड में गोल्ड मैडल जीत चुका हूं।
कोटा में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए सबकुछ है। राहुल जैसे कई विद्यार्थी हैं, जो प्रयास करते हैं और सफल होकर कोटा से जाते हैं। कोटा भविष्य बनाता है, यहां आकर विद्यार्थी को शिक्षा ही नहीं संघर्ष करने का हौसला भी सिखाया जाता है। यही कारण है कि इसे कॅरियर और केयर सिटी कहते हैं। अच्छे स्टूडेंट्स को जरूरत होती है तो हमारा संस्थान हमेशा आगे रहता है।
नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन

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