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ये है मामला
एमबीएस प्रशासन ने 2017 में साइकिल स्टैंड के ठेके की निविदा जारी की थी। इसके तहत सालाना 45 लाख रुपए तय किए थे। ठेकेदार ने सालभर ठेका भी चलाया। अवधि पूरी होने के बाद जब दोबारा टेंडर नहीं निकला तो इसी ठेकेदार को तीन माह का विस्तार दे दिया। इस दौरान ठेका संचालक ने वाहन स्टैंड पर लोगों से वसूली की धरोहर राशि अस्पताल में जमा नहीं करवाई। इस बीच नई निविदा के बाद ठेका किसी ओर को मिल गया। अस्पताल प्रशासन ने भी इस अवधि का पैसा ठेकेदार से नहीं वसूली और आरएमआरएस में 12.50 लाख की चपत लग गई।
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कागजों में खेल!
दरअसल, ठेका अवधि खत्म होने पर अस्पताल प्रशासन ने ठेकेदार
फ र्म की धरोहर राशि रिलीज कर दी, लेकिन 3 माह के विस्तार के दौरान ठेकेदार से से न तो एडवांस चेक लिए ना ही एफ डीआर जमा करवाई। शर्त के मुताबिक तीन माह की अवधि विस्तार के ठेकेदार को 12.50 लाख रुपए एडवांस जमा कराने थे। अस्पताल प्रशासन भी कागजों में खेल करने के चक्कर में बेक डेट में ठेकेदार को नोटिस भेजता रहा, हालांकि चार माह पहले थाने में मामले की लिखित शिकायत भेजी गई थी। इस पर इसलिए कार्रवाई नहीं हुई कि अस्पताल प्रशासन के पास न तो ठेकेदार द्वारा दिया गया चेक था और ना कोई अन्य दस्तावेज। इनका यह कहना
ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले में एमबीएस अस्पताल प्रशासन से रिकॉर्ड भी मांगा है।
मुकेश कुमार, एएसआई एमबीएस चौकी