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Good News: राजस्थान की प्रमुख नदियों और बांधों को स्काडा सिस्टम से जोड़ने की तैयारी, केन्द्र की डेट लाइन तय

केन्द्र सरकार ने प्रदेश की प्रमुख नदियों पर बने बांधों को स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) से जोड़ने की डेट लाइन तय कर दी है। चम्बल नदी के तीनों बांध कोटा बैराज, राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर बांध भी इस परियोजना में शामिल है।

कोटाMay 11, 2024 / 08:11 am

Kirti Verma

रणजीतसिंह सोलंकी
Rajasthan News : टेक्नोलॉजी के दौर में प्रदेश के प्रमुख बांधों और नदियों की डिजिटल कुंडली तैयार की जा रही है। इसमें मानसून में किस नदी और बांध में कितनी रफ्तार से पानी की आवक हो रही है, बांध के कैचमेंट क्षेत्र में कितनी बारिश हो रही है, उसके आधार पर पानी की आवक की स्वचालित यंत्रों से गणना कर डाटा तैयार किया जाएगा। इसके आधार पर ही बांधों से पानी का डिस्चार्ज किया जाएगा। पानी के डाटा 12 विभागों को आपस में साझा किया जाएगा। इसमें बाढ़ की स्थिति का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। इसके आधार पर संबंधित एजेंसिया पहले ही सक्रिय हो जाएंगी और बाढ़ से होने वाली हानि को रोक सकेंगी।
केन्द्र सरकार ने प्रदेश की प्रमुख नदियों पर बने बांधों को स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) से जोड़ने की डेट लाइन तय कर दी है। चम्बल नदी के तीनों बांध कोटा बैराज, राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर बांध भी इस परियोजना में शामिल है। इस परियोजना की अवधि मार्च 2024 थी, जिसे बढ़ाकर सितम्बर 2025 कर दिया है। अब इस परियोजना का कार्य क्षेत्र पूरे राज्य में है।
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56 करोड़ 26 लाख का बजट खर्च
यह परियोजना केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंग संरक्षण विभाग (विश्व बैंक) की ओर से वित्त पोषित है। परियोजना की कुल लागत 134.58 करोड़ है। यह परियोजना केन्द्र सरकार से अनुदानित है। अब तक परियोजना में 56 करोड़ 26 लाख का बजट खर्च हो चुका है।
यह स्काडा से जुड़े
वर्तमान में राज्यभर में स्थापित 170 स्वचालित वर्षा मापी यंत्रों, 150 भूजल, 143 स्वाचालित जल स्तर पर रेकाॅर्डर, 25 स्वचालित मौसम स्टेशन संयंत्रों के डेटा प्राप्त हो रहे हैं। इसे एनडब्ल्यूआईसी के पोर्टल पर साझा किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त चम्बल नदी पर बने राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध, बीसलपुर, माही, गुढ़ा, जवाई बांध स्काडा सिस्टम से जुड गए हैं।
यहां काम शुरू होगा
कोटा बैराज, पार्वती बांध धौलपुर, छापी बांध झालावाड़, सोम कमला अम्बा बांध डूंगरपुर पर स्काडा सिस्टम स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। नर्मदा नहर परियोजना सांचौर, गंग नहर तथा भांखड़ा नहर, श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ की नहरों पर पारदशीZ जल के लिए स्काड़ा सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। चम्बल की नहरों को भी इससे जोड़ने की तैयारी है। इसके लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान अंतरराज्यीय टेक्नीकल कमेटी की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हो चुकी है।
क्या है स्काडा
स्काडा सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन सिस्टम है। स्काडा प्रणाली हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का एक संयोजन है, जो ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी (ओटी) वास्तविक समय डेटा को कैप्चर करके औद्योगिक प्रक्रिया स्वचालन को सक्षम बनाता है। स्काडा उन सेंसरों को जोड़ता है, जो मोटर, पंप और वाॅल्व जैसे उपकरणों की निगरानी एक ऑनसाइट या रिमोट सर्वर से करते हैं। वास्तविक समय डेटा प्राप्त हो सकेंगे।
बांधों में पानी की आवक पर निगरानी रखने और बाढ़ नियंत्रण के लिए स्काडा सिस्टम उपयोगी है। स्काडा में अब कोटा बैराज को भी जोड़ा जाएगा। इसके टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।

  • भारत रत्न गौड़, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग, कोटा बैराज

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