राजस्थान में अब बसेंगे नए शहर, जानें क्या है भजनलाल सरकार की ये बड़ी कवायद
56 करोड़ 26 लाख का बजट खर्चयह परियोजना केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंग संरक्षण विभाग (विश्व बैंक) की ओर से वित्त पोषित है। परियोजना की कुल लागत 134.58 करोड़ है। यह परियोजना केन्द्र सरकार से अनुदानित है। अब तक परियोजना में 56 करोड़ 26 लाख का बजट खर्च हो चुका है।
वर्तमान में राज्यभर में स्थापित 170 स्वचालित वर्षा मापी यंत्रों, 150 भूजल, 143 स्वाचालित जल स्तर पर रेकाॅर्डर, 25 स्वचालित मौसम स्टेशन संयंत्रों के डेटा प्राप्त हो रहे हैं। इसे एनडब्ल्यूआईसी के पोर्टल पर साझा किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त चम्बल नदी पर बने राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध, बीसलपुर, माही, गुढ़ा, जवाई बांध स्काडा सिस्टम से जुड गए हैं।
कोटा बैराज, पार्वती बांध धौलपुर, छापी बांध झालावाड़, सोम कमला अम्बा बांध डूंगरपुर पर स्काडा सिस्टम स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। नर्मदा नहर परियोजना सांचौर, गंग नहर तथा भांखड़ा नहर, श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ की नहरों पर पारदशीZ जल के लिए स्काड़ा सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। चम्बल की नहरों को भी इससे जोड़ने की तैयारी है। इसके लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान अंतरराज्यीय टेक्नीकल कमेटी की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हो चुकी है।
स्काडा सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन सिस्टम है। स्काडा प्रणाली हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का एक संयोजन है, जो ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी (ओटी) वास्तविक समय डेटा को कैप्चर करके औद्योगिक प्रक्रिया स्वचालन को सक्षम बनाता है। स्काडा उन सेंसरों को जोड़ता है, जो मोटर, पंप और वाॅल्व जैसे उपकरणों की निगरानी एक ऑनसाइट या रिमोट सर्वर से करते हैं। वास्तविक समय डेटा प्राप्त हो सकेंगे।
- भारत रत्न गौड़, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग, कोटा बैराज