दुकानें खुलें तो बिके झाडू
प्रेमनगर तृतीय निवासी चिरोंजीलाल ने बताया कि वह व पत्नी झाडू बनाकर बाजार में बेचने का काम करते हंै, लेकिन पिछले कुछ दिन से बाजार बंद होने से उनके झाडू बिक नहीं रहे। ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। उत्तरप्रदेश निवासी चाट-पकौड़ी का ठेला लगाने वाले राजू ने बताया कि अब जमा पैसा भी खत्म होने लगा है। अब घर चलाने के लिए लोगों से कर्ज लेना पड़ेगा। होटल में रोटी-सब्जी बनाने वाले मनोज ने बताया कि होटल बंद होने से वह बेरोजगार हो गया है।
– कोटा में मजदूरों की संख्या 5 लाख
– कोटा में लगती हैं 20 मजदूर मंडियां
– 1 मजदूर मंडी में 500 मजदूर आते हैं
– निर्माण श्रमिक करीब 50 हजार
– भामाशाहमंडी में करीब 50 हजार हम्माल व चढ़ारियां
– पत्थर खदान श्रमिक 50 से 60 हजार
– माइंस फैक्ट्रियों में कार्यरत श्रमिक 50 हजार