कंपनी को बैंकों ने NCLT के पास भेजा बैकों को अब तक के प्रयास में कर्ज में डूबी इस एयरलाइन को दोबारा खड़ा करने के लिए किसी इकाई से कोई पुख्ता प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। बैंकों की सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। फिलहाल बैंकों को एयरलाइन से 8,500 करोड़ रुपए की वसूली करनी है।
NBFC के लिए नए नियम बनाने पर विचार कर रही RBI, गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी जानकारी
SBI ने दी जानकारी एसबीआई ( SBI ) ने बयान में कहा कि बहुत विचार करने के बाद लेंडरों ने फैसला किया है कि दिवाला संहिता के तहत जेट एयरवेज के मामले का निपटान किया जाए क्योंकि मीटिंग के दौरान एयरलाइन के लिए सिर्फ एक बोली ही प्राप्त हुई है।
जेट पर है 8500 करोड़ का कर्ज जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंकों ने पहले ही निवेशकों को जानकारी देते हुए बताया था कि कंपनी की सेवाओं को एक बार फिर से शुरू करना एक मुश्किल काम है क्योंकि कंपनी के ऊपर करोड़ों रुपए का कर्ज है, जिसके कारण कंपनी की नेगेटिव नेटवर्थ को बदलना बहुत ही मुश्किल है। जेट पर लगभग 8,500 करोड़ रुपए का कर्ज है और इसकी कुल देनदारी 25 हजार करोड़ रुपए है। ज्यादा कर्ज होने के कारण कंपनी की साख को भी काफी नुकसान हुआ है।
17 अप्रैल को बंद की थी उड़ानें आपको बता दें कि देश की सबसे पुरानी प्राइवेट एयरलाइन ने 17 अप्रैल को अपनी सभी उड़ानें बंद कर दी थीं क्योंकि कंपनी के पास रोज के खर्च के लिए भी पैसे नहीं थे और सभी बैंकों ने कंपनी को कर्ज देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण कंपनी जमीन पर आ गई। कंपनी के बंद हो जाने से लाखों कर्मचारियों पर नौकरी का संकट आ गया। इसके साथ ही कई कर्मचारियों को लंबे समय से कंपनी की ओर से वेतन नहीं मिला था, जिसके कारण सभी कर्मचारियों की जिंदगी संकट में पड़ गई।