
JIO Platforms can sell 8 percent more stake, know how?
नई दिल्ली। बीते दो हफ्तों में मुकेश अंबानी ( Mukesh Ambani ) ने जियो जियो प्लेटफार्म्स ( Jio Platforms ) की 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी को बेच दिया है। जिनमें 9.99 फीसदी हिस्सेदारी फेसबुक ( Facebook ) को बेची है और 1.15 फीसदी की हिस्सेदारी अमरीकी कंपनी सिल्वर लेक ( Silver Lake ) को दी है। इन दोनों कंपनियों से डील के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज ( Reliance Industries ) को 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मिले है। अब एक रिसर्च के बाद एक बात और सामने आई है कि मुकेश अंबानी अगर चाहे तो जियो प्लेटफार्म्स की 8 फीसदी और हिस्सेदारी बेच सकते हैं। यानी उनके पास अब 8 फीसदी ऐसा हिस्सा बचा है जिसे वो बेचकर रुपया बना सकते हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किस कंपनी की ओर अपने रिसर्च में ऐसा कहा है।
और 8 फीसदी की गुंजाइश
बोफा रिसर्च ने एक नोट में कहा कि 1.15 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद बाद और एक्सट्रा 8 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री की गुंजाइश दिख रही है। उन्होंने कहा कि फेसबुक सौदे के बाद हम मानते हैं कि जियो प्लेटफार्म्स पर पीई द्वारा कोई भी सौदा तेजी के साथ हो सकता है, क्योंकि हाल के निवेशों से दस्तावेज और प्रक्रिया तैयार हो चुके हैं। हम उम्मीद करते हैं कि जियो में आने वाले किसी भी निवेश से इसकी बैलैंसशीट मजबूत होगी, खासतौर से इसके 850 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण और भविष्य में नए 5जी स्पेक्ट्रम को खरीदने के लिए। हमें लगता है कि जियो 5जी में सबसे पहले प्रवेश करेगा।
12.5 फीसदी प्रीमियम पर सिल्वर लेक का निवेश
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी चौथी तिमाही के परिणामों में कहा है कि वैश्विक निवेशकों ने जियो प्लेटफार्म्स में 10 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की रुचि दिखाई है। जिसके तहत जियो ने 61 अरब डॉलर में फेसबुक को 9.99 फीसदी हिस्सेदारी बेची है। सोमवार को आरआईएल ने घोषणा की कि एक पीई सिल्वर लेक जियो प्लेटफार्म्स में 56 अरब रुपए निवेश करेगी। यह निवेश फेसबुक के निवेश के इक्विटी मूल्यांकन के 12.5 फीसदी प्रीमियम पर है।
जियो के आईपीओ आने की उम्मीद
बोफा के अनुसार हम प्रीमियम को उचित मानते हैं, क्योंकि फेसबुक के विपरीत किसी भी रणनीतिक निवेशक को, जो मूल्य को टेबल पर लाता है, यानी एक पीई कंपनी को व्यापक तौर पर एक फायनेंशियल निवेशक के रूप में देखा जा सकता है। रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि और हिस्सेदारी बिक्री से किसी जियो आईपीओ से पहले तरलता में मदद मिलेगी। आरआईएल ने अपनी अगस्त 2019 की एजीएम में कहा था कि कंपनी पांच साल के अंदर एक जियो आईपीओ की उम्मीद कर रही है।
Updated on:
05 May 2020 09:08 am
Published on:
05 May 2020 09:07 am
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