
लखनऊ. लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद प्रदेश में एक बार फिर विकास कार्यों के लिए सीएम योगी ने कमर कस ली है। इनमें मुख्य रूप से पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस वे, अधूरी नहरों को पूरा कर सिंचन क्षमता विस्तार, मेट्रो रेल से आगरा और कानपुर को अराजक यातायात से राहत दिलाने जैसे कार्य शामिल हैं। सीएम योगी बिना चुनावी नतीजे के इंतजार किए मंगलवार को अपने एजेंडे में काम करने पर जुट गए। मंगलवार को गोरखपुर से लौटने के बाद ही उन्होंने पूर्वांचल, बुंदेलखंड गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। इसके अलावा लखनऊ और आगरा मेट्रो, गेंहू खरीद, गन्ना मूल्य भुगतान और 68000 बेसिक शिक्षकों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी समीक्षा की।
अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान सीएम योगी ने कई विकास योजनाओं की घोषणा की है। चुनाव नतीजों के बाद सीएम योगी का पूरा जोर इन कार्यों को समय से पूरा करने पर होगा। कुंभ के दौरान प्रयागराज में विकास के बहुत काम हुए हैं। और अब वे अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ के समग्र विकास के लिए कार्यबद्ध हैं।
पीएम मोदी कर चुके हैं इसका शिलान्यास-
पीएम मोदी 14 जुलाई को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे-लखनऊ-सुल्तानपुर रोड (एनएच-56) के चांद सराय लखनऊ से गाजीपुर के हैदरिया गांव तक जाने वाले एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि इसके निर्माण पर करीब 23,350 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे-चित्रकूट के भरतकूप से शुरू होकर बांदा, हमीरपुर, जालौन, औरैया से होते हुए इटावा के कुदरैल गांव के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। 294.264 करोड़ रुपये वाली परियोजना की लागत 14716.26 करोड़ है। इसी के साथ साल 2021 में मेरठ से प्रयागराज को जोड़ने वाली गंगा एक्सप्रेस-वे पर सरकार का फोकस होगा। चार लेन और 36000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस सड़क की लंबाई 600 किमी होगी।
अधूरी नहरें-
सरकार का लक्ष्य 2019 के अंत तक 20 लाख अतिरिक्त भूमि को सिंचन के दायरे में लाना है। लिहाजा सरकार का जोर अधूरी पड़ी सरयू नहर, मध्य गंगा नहर, बदायूं, एरच, भौरट और कनहर सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने पर है।
आगरा और कानपुर के मेट्रो रेल परियोजना में तेजी-
प्रधानमंत्री मार्च-2018 में 8380 करोड़ रुपये की आगरा मेट्रो परियोजना का शिलान्यास कर चुके हैं। कानपुर मेट्रो परियोजना केंद्रीय मंत्रिपरिषद से मंजूर हो चुकी है। रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एवं मेट्रो सर्विस के पहले कॉरिडोर का भी शिलान्यास हो चुका है। 82.15 किमी लंबे रेल कॉरिडोर निर्माण की लागत 30274 करोड़ रुपये है।
इन शहरों की बदलेगी तस्वीर-
वहीं अब अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ की तस्वीर बदलने की कवायद भी शुरू हो गई है। कुंभ के चलते प्रयागराज में विकास के रिकॉर्ड काम हुए। इसी तर्ज पर अब उक्त शहरों की बारी है। पीएम मोदी की संसदीय सीट होने के कारण वाराणसी और यूपी की राजधानी होने के नाते लखनऊ प्राथमिकता में रहेंगे। वही अयोध्या में गुजरात के स्टैचू ऑफ यूनिटी की तर्ज पर श्रीराम की भव्य प्रतिमा का स्वरूप उभरकर सामने आने की उम्मीद है। तो सीएम योगी के शहर गोरखपुर को भी बड़ी सौगातें मिल सकती हैं।
Published on:
21 May 2019 11:06 pm
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