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पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, खून के रिश्ते में निकाह नहीं, नए कानून में कई पाबंदियां

AIMPLB Advice to not Marry in these Relationships- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने मुस्लिम समाज को सलाह दी है कि वे खून के रिश्तों में आने वाली खातून (महिला) को निकाह का पैगाम न दें। निकाह के शरई कानून का पालन करें।

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AIMPLB Advice to not Marry in these Relationships

AIMPLB Advice to not Marry in these Relationships

लखनऊ.AIMPLB Advice to not Marry in these Relationships. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने मुस्लिम समाज को सलाह दी है कि वे खून के रिश्तों में आने वाली खातून (महिला) को निकाह का पैगाम न दें। निकाह के शरई कानून का पालन करें। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह भी कहा कि पुरुष जिस खातून से रिश्ता करना चाहता है, उसे पहले से ही देख लें क्योंकि यह जायज है। दरअसल, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इन दिनों इस्लाहे मुआशरा (समाज सुधार) के लिए अभियान चला रहा है। सादगी से मस्जिदों में निकाह और फिर गैर मुस्लिमों में शादी को रोकने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान मजमुए कवानीन इस्लामी (इस्लाम के कानून) के माध्यम से सिलसिलेवार मुस्लिम समाज को जागरूक किया जा रहा है।

इन रिश्तों के लिए पैगाम जायज नहीं

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि बहन, फूफी, भांजी आदि से निकाह करना गुनाह। इन रिश्तों में निकाह के लिए पैगाम (प्रस्ताव) देना जायज नहीं है। ऐसी महिला जो इद्दत में पति की मृत्यु के कारण या तलाक रजई अथवा तलाक बाईन (पति की मृत्यु पर एक निश्चित समय तक एकांत में रहना) के कारण इद्दत में है उसे निकाह का प्रस्ताव नहीं दिया जा सकता। वफात यानी मृत्यु में इद्दत के बाद सीधे नहीं बल्कि इशारे के तौर पर प्रस्ताव दिया जा सकता है। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि जहां पहले से पैगाम है वहां प्रस्ताव न दें। अगर पहले से प्रस्ताव था और फिर निकाह कर लिया है तो भी ऐसा निकाह मनअकद (नियमविरुद्ध) कहलाएगा।

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