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मुलायम का ‘चरखा दांव’ आजमा रहे अखिलेश-शिवपाल

तो इसलिये सपा से इस्तीफा नहीं दे रहे शिवपाल, अखिलेश ने भी साधी चुप्पी...

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Sep 03, 2018

samajwadi party dispute

मुलायम का 'चरखा दांव' आजमा रहे अखिलेश-शिवपाल

लखनऊ. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के साथ ही शिवपाल यादव ने भले ही लोकसभा की सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया है, बावजूद इसके वह समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं। जसवंतनगर से सपा विधायक ने नया सेक्युलर मोर्चा गठित कर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर बगावती तेवर दिखाये हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सपा के उपेक्षित नेताओं से भी साथ जुड़ने का आह्वान किया है। बावजूद इसके पार्टी आलाकमान चुप है। बगावती तेवर के बावजूद सपा की सदस्यता से न तो शिवपाल इस्तीफा दे रहे हैं और न ही अखिलेश उन्हें पार्टी से निकालने की जल्दबाजी में दिख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चाचा-भतीजे एक दूसरे के खिलाफ मुलायम सिंह यादव का फेमस 'चरखा दांव' आजमा रहे हैं।

चाचा कह रहे हैं कि भतीजे की पार्टी में उनका सम्मान नहीं है, वहीं अखिलेश का कहना है कि हम चाचा का दिल से सम्मान करते हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश और शिवपाल यादव एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। शिवपाल इंतजार कर रहे हैं कि कब अखिलेश यादव उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दें, ताकि जनता में मैसेज जाये कि वह आखिर तक पार्टी को एकजुट करने में लगे रहे। सेक्युलर मोर्चा बनाने से पहले शिवपाल यादव ने कहा था कि डेढ़ साल से वह पार्टी में सम्मानित पद का इंतजार कर रहे हैं। मुलायम के सम्मान के बहाने भी वह अखिलेश यादव पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

चाचा पर एक्शन क्यों नहीं लेते अखिलेश?
अखिलेश यादव चाचा शिवपाल के बगावती तेवरों के बावजूद उन्हें पार्टी से बाहर की राह दिखाने की जल्दबाजी में नहीं हैं, जबकि पूर्व में ऐसे कदम उठाने वाले नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर चुके हैं। कारण साफ है कि वह नहीं चाहते हैं कि उन पर परिवार तोड़ने और पुराने सपाइयों को बाहर करने का आरोप लगे। वह शिवपाल को और समय देना चाहते हैं, ताकि वह खुद ही पार्टी से किनारा कर लें। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में अखिलेश की चुप्पी शिवपाल सिरदर्द बढ़ाएगी। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जाएंगे, शिवपाल पर अपनी रणनीति क्लियर करने प्रेशर बढ़ेगा। उनके साथ जुड़े लोग नहीं चाहेंगे कि शिवपाल यादव एक साथ दो-दो नाव पर सवार रहें। इसे अखिलेश यादव बखूबी जानते हैं। शायद इसीलिये शिवपाल मामले में वह कोई बयानबाजी नहीं कर रहे हैं। पार्टी के अन्य नेता भी परिवार के झगड़े की बात कहकर मौन हैं।