
Akhilesh Yogi
लखनऊ. जहरीली शराब से मृतकों की संख्या में इजाफा हुआ है। मंगलवार को बाराबंकी के रानीगंज क्षेत्र में शुरु हुए मौत के सिलसिले ने कई परिवारों के चिराग बुझा दिए। यह सिलसिला अभी थमा भी नहीं था कि सीतापुर में तीन और अमेठी में एक की मौत की घटना ने एक बार फिर सभी को झंकझोर कर रख दिया। प्रशासन मौन है और देसी शराब के ठेकेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही। कुछ अधिकारी व कुछ कॉंस्टेबल को संस्पेंड करने के अलावा सरकार द्वारा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। विपक्ष भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साध रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर बयान जारी किया है और भाजपा सरकार को अपराध रोकने पर पूरी तरह निष्फल बताया है। अखिलेश का कहना है कि जनजीवन इतना असुरक्षित कभी नहीं रहा जितना भाजपा राज में हुआ है। जहरीली शराब का धंधे ने कितनी ही जाने ले ली है, लेकिन भाजपा सरकार फिर भी संवेदनहीन बनी हुई है।
सरकारी ठेकों पर भी नकली कच्ची शराब बिक रही-
अखिलेश ने कहा कि बाराबंकी में दो दर्जन मौंते, 85 से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने, सीतापुर में 4 मौते और अमेठी में एक मौत से भाजपा की राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। वहीं अखिलेश में पूर्व में हुई ऐसी ही घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 2018 में भी बाराबंकी में ही जहरीली शराब पीने से 9 सहारनपुर में 50 और उन्नाव में 12 मौतें हुई थी। सपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि शराब के अवैध कारोबारी खुलेआम मौत बेच रहे हैं। सरकारी ठेकों पर भी नकली कच्ची शराब बिक रही है।
कानून का राज खत्म हो गया है-
उन्होंने यूपी सरकार को शराब माफियाओं की कठपुतली बताया और कहा कि शराब तस्करों को कोई खौफ नहीं है। भाजपा सरकार और उसका आबकारी विभाग जानकर भी अनजान बना हुआ है। अखिलेश यादव ने कहा कि पूरे प्रदेश में अपराधियों, माफियाओं का बोलबाला है। कानून का राज खत्म हो गया है। माफिया किस्म के अपराधी मनमानी कर रहे हैं। जनता ऐसी सरकार के जनविरोधी चेहरों से बुरी तरह से सहमी व डरी हुई है।
अबकारी विभाग स्थानीय पुलिस पर रहता है निर्भर-
अगर आबकारी विभाग की बात करें, यह विभाग सलाना करोड़ो अरबों की कमाई करता है। इस विभाग से कमाई मोटी होती है, लेकिन विभाग छोटा होता। मसलम विभाग में लोग कम होते हैं। जानकारों की मानें तो अधिकतर शराब के ठेकों की मॉनटरिंग के लिए विभाग को स्थानीय पुलिस पर निर्भर होना पड़ता है। और यहां से बिगड़ता है खेल। और फिर आती है वो तस्वीर जिस पर सरकार पुलिस को और अफसरों को सस्पेंड करते हुए मामले में इतिश्री करती है।
इंपोर्ट नहीं जिलों में ही बनती है देशी शराब-
एक तथ्य यह भी है कि नकली और जहरीली शराब कहीं से इंपोर्ट नहीं होती। इसती तस्करी भी नहीं होती, बल्कि अलग-अलग जिलों में छिपते-छिपाते बनाई जाती है। किसकी शह पर?. यह सभी जानते हैं। स्थानीय लोगों का यह कहना है कि बारांबकी में भी जिस शराब से लोगों की मौतें हुई है वह आस-पास के क्षेत्रों में ही बनाई गई थी। साथ ही साथ कई ठेके उनको दिए गए हैं, जिनपर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अधिकतर गरीब तबके के लोग करते है देशी शराब का सेवन-
यह बात भी सामने आई है कि अधिकतर निचले व गरीब तबके के लोग ही देशी शराब का सेवन करते हैं। सस्ते दाम में मिल जाती है, तो क्वालिटी की तरफ वे ध्यान भी नहीं देते, लेकिल सवाल यही कि इसकी सप्लाई कौन करता है? ठेकों का वितरण किस हिसाब से होता है? नकली शराब बनाने के अड्डे पर पुलिस अपना शिकंजा क्यों नहीं कसती और आखिर में सरकार इसको लेकर अभी तक कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठा रही। ऐसे कई सवालों के जवाब वह परिवार भी तलाश रहे हैं जिनके घर के चिराग जहरीली शराब से बुझ गए है।
Published on:
01 Jun 2019 05:04 pm
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