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लखनऊ आने से पहने जरूर पढ़ते थे इन किताबों को अटल बिहारी वाजपेयी

अटल जी के बारे में इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण ने कहा कि उनके जाने से देश ने एक महान राष्ट्र भक्त को खो दिया

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atal bihari vajpayee

लखनऊ आने से पहने जरूर पढ़ते थे इनकी किताबों को अटल बिहारी वाजपेयी

लखनऊ. पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को शाम 5 बजकर 5 मिनट पर निधन हो गया। भाजपा के साथ उन्हें विपक्षी दल के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। अटल जी के बारे में इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण ने कहा कि उनके जाने से देश ने एक महान राष्ट्र भक्त को खो दिया है।

जब धोती कुर्ता पहनकर हुए अटल जी के दर्शन

उनके साथ अपनी यादों को ताजा कर योगेश प्रवीण ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी उनकी किताबों के फैन थे। बचपन का एक वाक्या याद करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार अटल जी उनके मोहल्ले मोहनगंज में धोती कुर्ता पहनकर आए थे।

जब पुरस्कार विजेताओं के लिए आयोजित किया था डिनर

बात 1998 की है, जब एक कार्यक्रम में किसी कारणवश अटल जी नहीं पहुंच पाए थे। तब उन्होंने कार्यक्रम में सम्मानित सभी पुरस्कार विजेताओं के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया था। तब अटल जी उस वक्त योगेश प्रवीण की लक्ष्मणपुर की आत्मकथा पड़ रहे थे। लखनऊ और किताबों के लिए अपना प्यार जाहिर कर अटल जी ने बताया था कि वे 'लखनऊ नामा' और 'शाम-ए-अवध' जैसी किताबें पढ़ा करते हैं। ये किताबें उन्हें बेशक लखनऊ के और करीब ले आती हैं क्योंकि इस शहर में अपनेपन का अहसास होता है। यहां की भाषा शैली, खानपान और अदायगी ही वो चीज है, जो उन्हें लखनऊ के करीब लाती थी।

नौजवान पीढ़ी के लिए आईडल थे अटल जी

योगेश प्रवीण ने बताया कि अटल जी के भाषण मे राजनीतिक विचार कम और एकता के विचार ज्यादा झलकते थे। वे नौजवान पीढ़ी के लिए प्रकाश स्तंभ आदर्श थे।

फेसबुक पर कही ये बात

देश ने एक महान राष्ट्र भक्त खो दिया। अटल जी दलगत राजनीति से बहुत ऊपर,एक महान नेता थे। उन्होंने अपने विश्वव्यापी व्यक्तित्व, "वसुधैव कुटुंबकम्" के सिद्धांत और महान आदर्शवादी चरित्र से भारतीय प्रधानमंत्री पद की गरिमा और बढा दी थी। वे भारत देश के सच्चे रत्न बने। भारतीय संसद में लखनऊ वासियों का प्रतिनिधि करते हुए प्रधानमंत्री बने। लखनऊ और लखनऊ वासियों के लिए उनके दिल मे अलग जगह थी