प्रतिवर्ष 1.20 लाख लोगों को हुआ डेंगू- सवाल है जब मौसमी बीमारियों का यह सिलसिला हर साल चलता है, तब शासन-प्रशासन इससे सबक लेकर समय रहते ऐसी स्थितियों से निपटने की तैयारियां क्यों नहीं करता। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) के अनुसार, 2015 में देश में 99,913, 2016 में 1,29,166, 2017 में 1,88,401, 2018 में 1,01,192, साल 2019 में 1,57,315, 2020 में 39,419, 2021 मई तक 6,837 डेंगू के मामले सामने आए हैं। मतलब प्रतिवर्ष करीब 119234 मामले होते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या यूपी की होती है। जाहिर है आबादी अधिक है तो आंकड़े भी ज्यादा होते हैं।
ये भी पढ़ें- धड़ाम से Platelets गिरने से हो रही मरीजों की मौत, जानें काउंट बढ़ाने के आसान उपाय कोरोना के मामले अब भी आ रहे हैं-यूपी में स्थिति इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि, बहुत बड़ी आबादी अभी कोरोना संक्रमण के बाद हुई दिक्कतें से जूझ रही है। कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। हर रोज नए मामले भी आ रहे हैं। कोरोना और जीका के बाद निपाह वायरस ने भी पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। इन सबसे एक साथ निपटना आसान नहीं है। हालांकि, लेकिन संयम,एकजुटता और संसाधनों के समुचित उपयोग से इस चुनौती से निपटा जा सकता है।
ये भी पढ़ें- अब सीतापुर में रहस्यमयी बुखार का कहर, ग्रामीणों का दावा, 50 की हुई मौत यह उपाय जरूरी- बारिश के महीने में आबादी और रहवास के इलाके में जलभराव आम बात है। पानी की टंकी और उसके आसपास जहां भी पानी जमा होता वहां डेंगू मच्छर पनपते हैं। प्रशासन सफाई अभियान चलाकर मच्छरों का खात्मा कर सकता है। इसी तरह नालियों की सफाई कर पानी के जमाव को रोका जा सकता है। लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए। खानपूर्ति करके यह काम नहीं होगा। अस्पतालों में मरीजों की मेडिकल जांच से लेकर उनके उपचार व ठीक होने के बाद उनकी मॉनिटरिंग होनी चाहिए। ग्रामीण व जिले स्तर पर लोगों में डेंगू व अन्य बीमारियों को लेकर जागरूकता फैलानी होगी। छोटी-छोटी मेडिकल टीमों को तैनात करना होगा। तब कहीं जलजनित बीमारियों से बचा जा सकता है। स्वच्छता और सफाई पर सख्त रुख अपनाकर ही वर्षाजनित बीमारियों से रोकथाम संभव है। लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों से तो कड़ाई से निपटना ही होगा।