
दुआ के साथ रुखसत हुआ रमजान, धूमधूम से मनाई जा रही ईद
लखनऊ. दुआ के साथ रुखसत हुआ रमजान। आज पूरे शहर में ईद का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रदेशवासियों के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ईद की बधाई दी है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राज्यपाल राम नाईक आदि दिग्गजों ने ईद की ढेरों बधाईयां दी हैं।
शिया वक्फ बोर्ड नहीं बनाएगा ईद
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैनिकों की कायरता पूर्वक हत्या कराए जाने के विरोध में ईद ना मनाने का ऐलान किया है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के दफ्तर में बोर्ड के कर्मचारी और बोर्ड के सदस्यगण शनिवार को दोपहर 1:00 बजे पाकिस्तान का झंडा जला कर विरोध करेंगे।
राजधानी की मस्जिदों में अलग अलग समय पर ईद की नमाज अदा की जाएगी जिसमें लाखों की संख्या में मुसलमान ईद की नमाज अदा करेंगे और अपने परवरदिगार की बारगाह में उसकी नेमतों के लिए सज्द-ए-शुक्र अदा करेंगे। राजधानी में ईद उल फितर की नमाज की बड़ी जमातें ईदगाह ऐशबाग, आसिफी मस्जिद और टीले वाली मस्जिद पर होगी जहां लाखों की संख्या में नमाजी नमाज अदा करेंगे।
ऐतिहासिक टीले वाली मस्जिद में सुबह 9:00 बजे, ऐशबाग ईदगाह में इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली सुबह 10:00 बजे, आसिफी मस्जिद में इमामे जुमा मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी सुबह 11:00 बजे नमाजियों को नमाज अदा कराएंगे।
दोबारा अदा हुई अलविदा की नमाज
अलविदा की नमाज शुक्रवार को अकीदत व एहतेराम के साथ दोबारा अदा की गई। बरेलवी विचारधारा से जुड़ी मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा करने का ऐलान किया गया। टीले वाली मस्जिद और आसिफी मस्जिद सहित तमाम मस्जिदों में अलविदा की नमाज हुई। मुसलमानों की सबसे बड़ी जमात में शामिल होने के लिए शहर के बाहर से भी नमाजी टीले वाली मस्जिद पहुंचे। टीले वाली मस्जिद में मौलाना फजले मन्नान रहमानी की इमामत में अलविदा की नमाज अदा की गई। मौलाना ने साफ किया कि अलविदा की नमाज दोबारा अदा करने में कोई मनाही नहीं है। वही आसिफी इमामबाड़े में अलविदा की नमाज के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने शिया सुन्नी इत्तेहाद के लिए दुआ मांगी। मौलाना अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने मस्जिद में नमाजियों को खिताब करते हुए कहा कि सप्ताह में हर सातवां दिन जुबां छोटी ईद की खुशियां लेकर आता है। उन्होंने कहा कि रमजान का हर जुमा बरकतों वाला है लेकिन आखिरी जुमा रमजान की विदाई लेकर आता है। ईद का चांद दिखने के साथ ही नमाज-ए-तरावीह का आखिरी दौर भी शुक्रवार को मुकम्मल हो गया।
ईद का इतिहास
मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है। इसलामी साल में दो ईदों में से यह एक है (दूसरा ईद उल जुहा या बकरीद कहलाता है)। पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।
ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं।
Updated on:
16 Jun 2018 12:48 pm
Published on:
16 Jun 2018 08:06 am
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