अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि दूसरे राज्यों से आने वाले हर कामगार व श्रमिकों को रोजगार मिले, इसके लिए सरकार ने श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के गठन की तैयारी शुरू कर दी है। संभवत: दो-तीन दिनों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अब तक 24 लाख से अधिक लोगों ने यूपी में घर वापसी की है। इनमें सभी श्रमिकों व कामगारों का बीमा कवर किया जाएगा। अब कामगारों व श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी की गारंटी पर ही अन्य राज्यों को आवश्यकतानुसार मैनपावर उपलब्ध कराया जाएगा। दूसरे राज्यों से आने वाले सभी श्रमिकों और कामगारों के लिए आवासीय व्यवस्था भी की जाएगी।
स्किल मैंपिंग कर पहली सूची तैयार :- यूपी सरकार ने श्रमिकों की स्किल मैंपिंग कर पहली सूची तैयार कर ली है। स्किल मैंपिंग की पहली लिस्ट में ही ऑटो मोबाइल व कार और बाइक रिपेयर से संबंधित 1527 श्रमिक आए हैं। इसी प्रकार 16 हजार 262 कारपेंटर, 9006 ड्राइवर, 1 लाख 52 हजार रियल स्टेट से संबंधित श्रमिक, 306 डाटा इंट्री अपरेटर, 4980 इलेक्ट्रीशियन, फर्नीचर फिटिंग में हुनरमंद 2234 श्रमिक, गारमेंट व टेलरिंग 12 हजार 103, 26 हजार पेंटर, हैंडी क्राफ्ट से संबंधित 1294 कारीगर, 424 नर्स, 202 संगीत शिक्षक और 3364 सिक्योरिटी गार्ड आए हैं। स्किल मैंपिंग में शामिल श्रमिकों से पहले अप्रेंटिस कराया जाएगा, जिसके लिए उन्हें मानदेय दिया जाएगा। हर जिले में श्रम व सेवायोजन कार्यालय में इनका डाटा उपलब्ध होगा।
1000 रुपए व कच्ची खाद्य सामग्री की किट :- मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर सभी बाहर से आए श्रमिकों को 1000 रुपए का भुगतान करने और उन्हें कच्ची खाद्य सामग्री की किट उपलब्ध कराई जा रही है। इसका आदेश प्रदेश सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों पहुंचा दिया गया है।। जिलाधिकारी को वितरित की गई धनराशि की सूचना और लाभार्थियों की संख्या आदि का विवरण ग्राम्य विकास, नगर विकास, श्रम विभाग तथा राहत आयुक्त कार्यालय को भेजना होगा। बाहर से आए श्रमिकों में से जो निर्माण श्रमिकों के रूप में पंजीकृत किए गए होंगे, उनका भुगतान श्रम विभाग उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के माध्यम से करेगा। जिलाधिकारियों को 31 मई तक सभी पात्र श्रमिकों की सूची 31 तैयार कर उनका पूरा विवरण बैंक खाता सहित राहत आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कराना होगा।
रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को मिलेंगे दस हजार रुपए :- यूपी सरकार ने रेहड़ी-पटरी और छोटी-मोटी दुकान चलाने वालों के लिए खास योजना के तहत 10,000 रुपए तक का कर्ज देने का ऐलान किया है। सरकार का मानना है कि कोरोना महामारी से लॉकडाउन से इनकी आजीविका पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। यूपी के 17 नगर निगमों में रजिस्टर्ड 15 लाख रेहड़ी-पटरी, ठेले लगाने वाले, छोटे दुकानदारों की सहमति के आधार पर 10 हजार रुपए का ऋण दिया जाएगा। जिससे वह अपने रोजगार को फिर से शुरू कर सकें। वहीं जिनका पंजीकरण नहीं है उन्हें उनका ब्योरा भी जुटाया जा रहा है। इस 10 हजार रुपए पर सरकार कितना ब्याज लेगी इस पर अभी कुछ तय नही है। यूपी में नगरीय इलाकों में पटरी दुकानदारों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए वेंडर्स ऐक्ट तो लागू है, लेकिन उसकी वास्तविक तस्वीर ज्यादा अच्छी नहीं मानी जाती है। कई शहरी निकाय ऐसे हैं, जहां अबतक पटरी दुकानदारों की वास्तविक संख्या तक शहरी निकाय नहीं पता कर सके हैं। निकायों में उनके पंजीकरण का काम अधूरा है।
सस्ती दर पर दुकानें :- श्रमिकों व कामगारों पर योगी सरकार पूरी तरह से मेहरबान है। श्रमिकों व कामगारों को बुनियादी सुविधाएं देने के साथ सस्ती दर पर दुकानें भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसमें सरकार जीएसटी और नक्शे की छूट भी देगी। खुद का रोजगार शुरू करने वालों को बैंक से मदद दिलाने में भी सरकार प्रमुख भूमिका निभाएगी। जिले से बाहर रोजगार व नौकरी करने वालों के लिए आवासीय सुविधा में भी सरकार मदद देगी। डोरमेट्री और दुकानों के लिए सरकारी भवनों व सरकारी भूमि चिह्नित की जाएंगी।
प्रवासी श्रमिकों व कामगारों के लिए घर :- योगी सरकार कोरोना महामारी की वजह से दूसरे राज्यों से काम-धंधे छोड़कर लौटे श्रमिक-कामगारों को रोजगार के साथ आवास की व्यवस्था में भी जुट गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोषित विशेष राहत पैकेज से श्रमिक-कामगारों के लिए आवास निर्माण की व्यवस्था की जाएगी। उनके लिए डोरमेट्री बनाने से भी कम धनराशि खर्च कर रहने की अच्छी सुविधा दी जा सकेगी। इस संबंध उन्होंने अधिकारियों को योजना बनाने के लिए कहा है। राजधानी लखनउ में कामगारों को कम किराया वाले मकानों उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम ने शहर में 20 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की है इनमें करीब 13 हेक्टेयर जमीन उनके विस्तार क्षेत्र और शेष करीब 7 हेक्टेयर जमीन पुरानी सीमा के अंदर हैं।