प्रदेश के मुख्यमंत्री को मारने तक ले ली थी सुपारी
उत्तर प्रदेश में श्रीप्रकाश शुक्ला का खौफ उस वक्त बढ़ गया जब रेलवे ठेकों का टेंडर कोई दूसरा लेना का सोच भी नहीं सकता था। मगर शुक्ला को अभी और बड़ा नाम कमाना था। शायद यही वजह थी कि उसने तत्कालीन यूपी सीएम कल्याण सिंह की सुपारी उठा ली। इसकी कीमत थी 5 करोड़ रुपये। ये बात जैसे ही पुलिस तक पहुंची, तो हड़कंप मच गया। शुक्ला का गैंग के कहर को देखकर सभी को डर था कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सेंध न लगा जाए। ऐसे में उसे पकड़ना और जरूरी हो गया। कहते हैं उस वक्त STF यानि स्पेशल टास्क फोर्स वजूद में आई थी। सरकार और पुलिस का यही ध्येय थी कि जिंदा या मुर्दा, बस शुक्ला का चैप्टर समाप्त ही करना था।
उत्तर प्रदेश में श्रीप्रकाश शुक्ला का खौफ उस वक्त बढ़ गया जब रेलवे ठेकों का टेंडर कोई दूसरा लेना का सोच भी नहीं सकता था। मगर शुक्ला को अभी और बड़ा नाम कमाना था। शायद यही वजह थी कि उसने तत्कालीन यूपी सीएम कल्याण सिंह की सुपारी उठा ली। इसकी कीमत थी 5 करोड़ रुपये। ये बात जैसे ही पुलिस तक पहुंची, तो हड़कंप मच गया। शुक्ला का गैंग के कहर को देखकर सभी को डर था कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सेंध न लगा जाए। ऐसे में उसे पकड़ना और जरूरी हो गया। कहते हैं उस वक्त STF यानि स्पेशल टास्क फोर्स वजूद में आई थी। सरकार और पुलिस का यही ध्येय थी कि जिंदा या मुर्दा, बस शुक्ला का चैप्टर समाप्त ही करना था।
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मास्टर का लड़का क्यो बन गया माफिया रिपोर्ट के अनुसार श्रीप्रकाश शुक्ला के पिता गोरखपुर के मामखोर गांव में मास्टर थे। शुक्ला सेहत का तगड़ा था और पहलवानी का शौक रखता था। कई अखाड़ों में वो अपना दम-खम भी दिखाया। लेकिन एक दिन जब उसने सड़क पर अपनी ताकत आजमाया, तो परिणाम में एक शख़्स की मौत मिली। दरअसल, 1993 की बात है। बताते हैं कि शुक्ला की बहन को एक राकेश तिवारी नाम के लफंगे ने छेड़ दिया था। 20 साल के श्रीप्रकाश को इस बात पर इतना गुस्सा आया कि उसने तिवारी को सड़क गिरा-गिराकर मारा। इससे उसकी मौत हो गई। पहले तो फरार हो गया। जब वापस आया तो वो किसी मास्टर का बेटा नहीं, बल्कि एक उभरता अपराधी था। यह भी पढ़ें
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जुर्म में जाने को मिल गई थी सीढ़ी उस वक्त उत्तर प्रदेश के अपराध जगत में दो नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में थे। हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही। ये दोनों ही नहीं जानते थे कि शुक्ला जुर्म की दुनिया में इन सबको पीछे छोड़कर आगे निकल जाएगा। शुक्ला ने एक के बाद एक हत्याएं करना शुरू कीं। साल 1997 में उसने वीरेंद्र शाही को गोलियों से भून डाला। दिन-दहाड़े हुई इस हत्या ने पूरी प्रदेश में शुक्ला के नाम की दहशत फैला दी फिर अपहरण और फ़िरौती का दौर शुरू हुआ। इसके बाद से शुक्ला पुलिस की नजरों में चढ़ गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अगस्त, 1997 को यूपी विधानसभा का सत्र चल रहा था। कहते हैं शुक्ला ने वहां AK-47 की गोलियों से 100 से ऊपर फायर किए। उसने बिहार सरकार में बाहुबली मंत्री बृज बिहारी प्रसाद का खुलेआम कत्ल कर दिया था। यह भी पढ़ें
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श्रीप्रकाश शुक्ला का सुनील शेट्टी कनेक्शन क्या हैमुख्यमंत्री की सुपारी के बाद एसटीएफ शुक्ला की तलाश में जुट गई। मगर उनके पास श्रीप्रकाश की पहचान करने के लिए कोई तस्वीर नहीं थी। पता चला कि श्रीप्रकाश कभी अपने एक रिश्तेदार की बर्थडे पार्टी में गया था। वहां उसकी एक तस्वीर खींची गई थी। पुलिस को तस्वीर देने की हिम्मत किसी में नहीं थी। हालांकि, एसटीएफ ने दबाव डालकर तस्वीर ली। ऐसे में एसटीएफ ने लखनऊ के हजरतगंज इलाके में एक स्डूडियो में फोटो को एडिट करवाया। जिस फेमस तस्वीर को लोग देखते हैं, उसमें शक्ल तो शुक्ला की है, मगर धड़ सुनील शेट्टी का है। पुलिस ने फोटो में बदलाव इसलिए कि फोटो कहां से आई इसका पता न चले।
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