बृजलाल ने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मायावती दलितों की मसीहा नही हैं। उन्होंने दलितों के सम्मान और सुरक्षा के लिए बनाए गए एससी-एसटी एक्ट को अपने आदेश के जरिए कमज़ोर कर दिया था। बृजलाल ने मई 2007 के एक शासनादेश की कॉपी भी दिखाते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्य सचिव शंभूनाथ की ओर से जारी इस शासनादेश का पालन करवाना प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों की ज़िम्मेदारी थी।
बसपा सुप्रीमो के करीबी अफसरों में से एक रहे बृजलाल का कहना है कि मायावती सरकार की मंशा थी कि यदि दलितों के उत्पीड़न के मामले सही तौर पर दर्ज़ होंगें तो प्रदेश में संदेश जाएगा कि उनकी ही सरकार में दलितों का उत्पीड़न बढ़ गया है। ऐसा संदेश कतई न जाए, इसलिए मायावती सरकार में एससी-एसटी एक्ट को कमज़ोर किया गया।
उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था में सुधार के लिए जारी इस शासनादेश में 18वें नंबर पेज पर जो लिखा है, वो दलितों के प्रति मायावती सरकार का रुख़ दिखाता है। शासनादेश के अनुसार सरकार को बदनाम करने के लिए एससी-एसटी एक्ट का गलत इस्तेमाल हो सकता है। दबंग लोग दलितों को मोहरा बनाकर एससी-एसटी एक्ट के फर्ज़ी मुकदमे दर्ज़ करा सकते हैं। इससे ही यह साफ हो जाता है कि मायावती सरकार जानती थी कि इस एक्ट का दुरूपयोग होता है। यहीं नहीं आदेश में, यह भी लिखा है कि छोटे-मोटे मामलों में इस एक्ट में मुकदमे ही न दर्ज़ किए जाएं। बृजलाल ने बताया कि पुलिस तो हमेशा से ही मुकदमे दर्ज करने से बचना चाहती है और उस पर इस तरह का आदेश दलितों के उत्पीड़न को और बढ़ावा ही देगा।