दिल की धड़कन का अनियमित होना
विटामिन डी के अत्यधिक सेवन से हाइपरकेलेसीमिया होता है और यह हृदय की कोशिकाओं के उचित कामकाज को बदल सकता है। इससे दिल की धड़कन अनियमित बढ़ जाती है। कैल्शियम का उच्च स्तर हृदय की धमनियों में कैल्शियम के जमाव का कारण बनता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है। इसके लक्षण सीने में दर्द, थकावट और चक्कर जैसे दिखते हैं।
किडनी हो सकती है प्रभावित
विटामिन डी की उच्च मात्रा होने से किडनी खराब हो सकती है। विटामिन डी की अधिक मात्रा शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ा देती है, जिससे गुर्दे की क्षति होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, विटामिन डी की विषाक्तता से गुर्दे को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसके लक्षण बुखार, मतली, उल्टी और पेट दर्द जैसे दिखते हैं।
फेफड़ों की क्षति
विटामिन डी का उच्च स्तर खून में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को बढ़ा देता है, जो एक साथ मिलकर क्रिस्टल बनाते हैं। ये क्रिस्टल फेफड़ों में जमा होने की अधिक संभावना रखते हैं, जो इसके कार्य को बाधित कर सकते हैं। इससे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। केजीएमयू के डॉ. कौसर उस्मान का कहना है कि 30 से 70 नैनो ग्राम प्रति मिलीलीटर विटामिन डी की जरूरत होती है। 20 से नीचे और 70 से ऊपर होने पर मामला गंभीर होता है। विटामिन डी ज्यादा हो जाने से यह धमनियों में जमा हो जाता है, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।