विटामिन डी की अधिक मात्रा शरीर में बढ़ाती है कैल्शियम का स्तर, गुर्दे हो सकते हैं प्रभावित
विटामिन डी का अधिक सेवन हानिकारक भी हो सकता है। विटामिन डी की अत्यधिक मात्रा हाइपरकेलेसीमिया का कारण भी बन सकती है।

लखनऊ. आपके मांसपेशियों, हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क के कुशल कार्य के लिए विटामिन डी महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह विटामिन शरीर को खनिजों को अवशोषित करने में मदद करता है। खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट्स के जरिए विटामिन डी लेने से स्वास्थ्य को फायदा होता है। ऐसे में कई लोग ज्यादा मात्रा में विटामिन डी का सेवन करने लगते हैं। हालांकि हम आपको बता दें कि विटामिन डी का अधिक सेवन हानिकारक भी हो सकता है। विटामिन डी की अत्यधिक मात्रा हाइपरकेलेसीमिया का कारण भी बन सकती है। दरअसल, इस स्थिति में खून में कैल्शियम का स्तर सामान्य से ऊपर हो जाता है। विटामिन डी का उच्च स्तर कैल्शियम की वृद्धि की ओर जाता है, जिसे आपका शरीर अवशोषित करता है और यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे कि भूख न लगना, भ्रम और उच्च रक्तचाप।
दिल की धड़कन का अनियमित होना
विटामिन डी के अत्यधिक सेवन से हाइपरकेलेसीमिया होता है और यह हृदय की कोशिकाओं के उचित कामकाज को बदल सकता है। इससे दिल की धड़कन अनियमित बढ़ जाती है। कैल्शियम का उच्च स्तर हृदय की धमनियों में कैल्शियम के जमाव का कारण बनता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है। इसके लक्षण सीने में दर्द, थकावट और चक्कर जैसे दिखते हैं।
किडनी हो सकती है प्रभावित
विटामिन डी की उच्च मात्रा होने से किडनी खराब हो सकती है। विटामिन डी की अधिक मात्रा शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ा देती है, जिससे गुर्दे की क्षति होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, विटामिन डी की विषाक्तता से गुर्दे को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसके लक्षण बुखार, मतली, उल्टी और पेट दर्द जैसे दिखते हैं।
फेफड़ों की क्षति
विटामिन डी का उच्च स्तर खून में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को बढ़ा देता है, जो एक साथ मिलकर क्रिस्टल बनाते हैं। ये क्रिस्टल फेफड़ों में जमा होने की अधिक संभावना रखते हैं, जो इसके कार्य को बाधित कर सकते हैं। इससे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। केजीएमयू के डॉ. कौसर उस्मान का कहना है कि 30 से 70 नैनो ग्राम प्रति मिलीलीटर विटामिन डी की जरूरत होती है। 20 से नीचे और 70 से ऊपर होने पर मामला गंभीर होता है। विटामिन डी ज्यादा हो जाने से यह धमनियों में जमा हो जाता है, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।
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