
छोटे दल बदल सकते हैं यूपी का सियासी समीकरण!
लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सभी दलों की तैयारियां जोरों पर है। हर बड़ा राजनीतिक दल क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे अपनी नैया पार लगाने की कोशिश में है। भाजपा, कांग्रेस, सपा ने किसी न किसी छोटे दल के साथ गठबंधन किया है। अभी भी जुडऩे और टूटने का सिलसिला जारी है। निषाद पार्टी ने सपा को झटका देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। चर्चा है कि निषाद पार्टी का एनडीए में शामिल होना तय माना जा रहा है। उधर उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी दो सीटें न मिलने पर अलग चुनाव लडऩे बात कह रहे हैं। चर्चा है कि वह गठबंधन के साथ जा सकते हैं।
बड़े दल जहां अपनी जीत के लिए छोटे दलों को भी अपने साथ लेकर चल रहे हैं तो छोटे दल भी सक्रियता बढ़ाते नजर आ रहे हैं। कोई स्थानीय जातीय समीकरण के बूते मैदान में उतर रहा है तो कोई विरोधियों को महज सबक सिखाने की मंशा से कूद पड़ा है। यही वजह है कि बीते विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां पंजीकृत छोटे दलों की संख्या 112 थी तो वहीं अब 178 पर पहुंच गई है। कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए और सपा-बसपा जहां छोटे दलों को साथ लेकर नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं तो वहीं भाजपा भी छोटे दलों को साथ लेकर फिर से 2014 की जीत दोहराने की कवायद में जुट गई है।
पिछले चुनाव में 112 दलों में सिर्फ 5 विधायक ही आए
पिछले विधानसभा चुनाव में 112 छोटे दलों ने चुनाव लड़ा, लेकिन इनके खाते में केवल 5 विधायक ही आए। लोकतांत्रिक कांग्रेस, भारतीय जनशक्ति, जनमोर्चा, राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी और उत्तर प्रदेश यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को एक-एक सीट मिली थी। पिछले चुनाव में आंबेडकर क्रांति दल, आदर्श लोकदल, ऑल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रंट, भारतीय नागरिक पार्टी, बम पार्टी, जनसत्ता पार्टी, विकास पार्टी और मॉडरेट पार्टी जैसे कई दलों को एक फीसदी वोट भी नहीं मिला। पंजीकृत छोटे दलों में सबसे अधिक 10.49 फीसदी वोट अपना दल को मिला जो कांग्रेस के 8.84 फीसदी से दो फीसदी ज्यादा थे। पिछले चुनाव से सबक लेकर ये दल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। इत्तेहाद फ्रंट (एकता मोर्चा) इसी का नतीजा है। पीस पार्टी, अपना दल, भारतीय समाज पार्टी और इंडियन जस्टिस पार्टी समेत 13 छोटे दलों से मिलकर बने इस फ्रंट को बनाया है। इसी तरह करीब दर्जनभर पार्टियों से बना राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा भी चुनाव में उतर रहा है।
राष्ट्रीय लोकदल (अजीत सिंह)
राष्ट्रीय लोकदल का प्रतिनिधित्व लोकसभा चुनाव 2014 के साथ विधानसभा में भी लगभग खत्म हो गया था। हालांकि, उपचुनाव में एसपी से समझौते के बाद कैरान लोकसभा के उप चुनाव में पार्टी का एक सांसद जीतकर लोकसभा पहुंच गया। इस प्रतिनिधित्व को कायम रखने के लिए रालोद बीएसपी और एसपी के गठबंधन का हिस्सा बन चुका है। आरएलडी को तीन सीटें मिली हैं।
पीएसपी (शिवपाल सिंह यादव)
प्रसपा का पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात चल रही थी, पर बात नहीं बनी। प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने पिछले दिनों कहा था कि हम कांग्रेस से गठबंधन करना चाहते थे लेकिन काफी समय तक इंतजार किया पर कांग्रेस से कोई जवाब नहीं मिला तो हमने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया। प्रसपा का पीस पार्टी के साथ गठबंधन हो गया है। प्रसपा ने चालीस सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
अपना दल (एस) ( अनुप्रिया पटेल)
अपना दल (एस) एनडीए सरकार का घटक दल है। पार्टी की संयोजक अनुप्रिया पटेल केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं। यूपी सरकार में भी अपना दल (एस) के मंत्री हैं। अपना दल एस ने भाजपा के साथ गठबंधन बरकरार रखा है। पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ है। अपना दल अब प्रदेश की दो सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जिसमें अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से और दूसरी सीट पर दोनों दलों के नेता बैठकर चर्चा करेंगे।
अपना दल (कृष्णा पटेल)
कृष्णा पटेल नेतृत्व वाला अपना दल कांग्रेस के साथ चुनाव में उतरेगा। आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उसे राज्य में दो लोकसभा सीटें आवंटित कीं। अपना दल दो संसदीय क्षेत्रों- गोंडा और पीलीभीत से चुनाव लड़ेगा।
सुभासपा (ओमप्रकाश राजभर)
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यूपी में बीजेपी का सहयोगी दल है। हालांकि, सरकार में शामिल होने के बाद भी सुभासपा अध्यक्ष लगातार सरकार की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिह्न लगाते रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर का कहना है कि उनकी पार्टी के बीजेपी से मतभेद खत्म हो गए हैं। लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने पांच सीटें मांगी हैं। हालांकि अभी सीटों का बटवारा तय नहीं हुआ है।
जनसत्ता दल (लो) (रघुराज प्रताप सिंह )
जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। राजा भैया ने कौशांबी से शैलेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया है। शैलेंद्र कुमार तीन बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुके हैं। इन्होंने अभी गठबंधन की स्थिति तय नहीं की है। पर भाजपा के साथ कयास लगाए जा रहा है कि वे जल्द कोई घोषणा कर सकते हैं।
निषाद पार्टी
निषाद पार्टी की भी भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चा है। गोरखपुर लोकसभा उप चुनाव में निषाद पार्टी प्रवीण निषाद सपा के सिंबल पर चुनाव लड़े और जीते भी। चार दिन पहले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने सपा के साथ आने की बात कही थी, लेकिन एक सप्ताह भी नहीं बीता की उन्होंने किनारा कर लिया। कहा कि जिस गठबंधन में उनकी पार्टी का जिक्र न हो वह ऐसे किसी भी दल के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेंगे। प्रदेश के अन्य छोटे दल भी किसी न किसी के साथ चुनावी गठजोड़ की
Published on:
30 Mar 2019 06:00 pm
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