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Bitiya@ work : ‘आस्था’ को कम उम्र में ही है सामाजिक दायित्तवों का बोध

इसी का परिणाम है कि आस्था में कही से भी आधुनिकता का प्रभाव नहीं दिखता। मात्र 11 साल की उम्र होने के बावजूद वह सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर जमकर बात करती है।

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Rohit Singh

Mar 14, 2017

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लखनऊ.
राजधानी के केकेसी डिग्री कॉलेज के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. बृजेश मिश्रा बेटियों को बेटों से किसी भी मायने में कम नहीं समझते। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी आस्था को शुरू ही संस्कारों की शिक्षा दी है।


इसी का परिणाम है कि आस्था में कही से भी आधुनिकता का प्रभाव नहीं दिखता। मात्र 11 साल की उम्र होने के बावजूद वह सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर जमकर बात करती है। इसके आलावा भारतीय राजनीति के बारे में आस्था का ज्ञान विस्तृत है।

आस्था देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से बहुत प्रभावित है और नरेंद्र मोदी उसके फेवरेट नेता हैं। आस्था के दिन की शुरुआत माता-पिता के आशीर्वाद से होती है और उसको अध्यात्म में खासा रुचि है। आस्था बड़ी होकर प्रशासनिक सेवा में जाकर देश सेवा करना चाहती है।

भीख मांगते बच्चों को देखकर आस्था अपने पापा से सवाल करती हैं कि आखिर इन बच्चों को शिक्षा क्यों नहीं मिल पा रही है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आस्था को कम उम्र में ही सामाजिक दायित्तवों का बोध है।

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