scriptतारीफें, मुस्कुराहट, तालियां – मुलायम व मायावती की महारैली का था गजब नजारा, और फिर बदल गया यह नारा | Unseen change happened in Mayawati and Mulayam joint rally | Patrika News
लखनऊ

तारीफें, मुस्कुराहट, तालियां – मुलायम व मायावती की महारैली का था गजब नजारा, और फिर बदल गया यह नारा

25 वर्षों बाद जब सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती एक साथ मैनपुरी में मंच पर आए, तो दोनों में कोई असहजता नहीं दिखी।

लखनऊApr 19, 2019 / 10:29 pm

Abhishek Gupta

Mulayam mayawati

Mulayam mayawati

लखनऊ. 25 वर्षों बाद जब सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती एक साथ मैनपुरी में एक मंच पर आए, तो दोनों में कोई असहजता नहीं दिखी। मुलायम सिंह यादव जब मंच पर आए तो मायावती पहले से ही वहां मौजूद थीं और कतार में रखी तीसरी बड़ी कुर्सी पर वो बैठे थीं। मुलायम सिंह यादव ने उसी सीट पर बैठने का आग्रह किया तो विनम्रता पूर्वक मायावती ने उनके लिए वह कुर्सी छोड़ दी। यही नहीं, मायावती ने असहजता की दीवार को तोड़ते हुए उनकी बगल वाली सीट पर ही प्रस्थान किया। उसके बाद तो सिलसिला तारीफों का शुरू हुआ, दोनों कई दफा मुस्कुराए, एक दूसरे का अभिवादन किया और आखिर में मायावती ने वोट की अपील भी की। साथ ही जय भीम जय भारत का नारा भी बदला, जिसमें ‘जय लोहिया’ शामिल हुआ।
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शुरुआत की मुलायम ने-

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव जैसे ही भाषण देने के लिए उठे मायावती भी साथ खड़ी हुईं। माईक पर पहुंचे नेताजी ने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा कि हमें खुशी है कि हम और मायावती जी एक मंच पर साथ हैं। आज हमारी आदरणीय मायावती जी आई हैं, उनका हम स्वागत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं आपके (मायावती जी के) एहसान को कभी नहीं भूलूंगा। जनता की वोट करने की अपील के साथ उन्होंने मायावती का सदा सम्मान करने की बात कही। इस दौरान मायावती मुलायम सिंह यादव को देखकर खूब मुस्कुराईं। मानों गेस्ट हाउस कांड की कड़वी याद पूरी तरफ दफन हो चुकी हो, लेकिन मायावती ने अपने संबोधन में उसका जिक्र जरूर किया। जैसे ही नेताजी संबोधन खत्म करके कुर्सी की ओर बढ़े, मायावती फिर उनके सम्मान में खड़ी हुईं और अपनी कुर्सी छोड़ दीं।
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मायावती की बातें सुन मुलायम ने बजाई ताली-

फिर आई मायावती की बारी जिन्होंने मुलायम की तारीफों के पुल बांधे। लेकिन उससे पहले गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कहा कि कभी-कभी कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। फिर अपने संबोधन में उन्होंने पीएम मोदी से मुलायम की तुलना करते हुए मोदी को फर्जी पिछड़ा वर्ग व मुलायम को असली पिछड़े वर्ग से बताया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की तरह मुलायम सिंह नकली नेता नहीं हैं। मुलायम सिंह जो कहते हैं वह करते भी हैं। यह सुन मुलायम सिंह यादव कई दफा मुस्कुरा कर ताली बजाते दिखे जो साफ संकेत था कि दोनों नेताओं की एक-दूसरे के विचारों के प्रति सहमति है।
बदल गया मायावती का नारा-

अंत में जो हुआ वह अपने आप में दोनों पार्टियों को जोड़ने की सबसे बड़ी कड़ी थी। मायावती ने मुलायम सिंह यादव को जिताने की अपील के साथ ही अपने ‘जय भीम, जय भारत’ के नारे के बदलते हुए ‘जय लोहिया’ को नारे में शामिल किया। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने मेरा निवेदन है कि मुलायम सिंह यादव को ऐतिहासिक जीत दिलाएं। ‘जय भीम, जय लोहिया, जय भारत।’ इस बदलाव के साथ राजनीतिक दृष्टिकोण में कितना बदलाव आएगा यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन यह ऐतिहासिक पल लोगों को हमेशा याद रहेगा।
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